आज के ही दिन वीर गति को प्राप्त हुआ था नौशेरा का शेर

आज का दिन भारतीय सेना के इतिहास में अविस्मरणीय है। 03 जुलाई 4

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 05:37 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 05:37 PM (IST)
आज के ही दिन वीर गति को प्राप्त हुआ था नौशेरा का शेर
आज के ही दिन वीर गति को प्राप्त हुआ था नौशेरा का शेर

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : आज का दिन भारतीय सेना के इतिहास में अविस्मरणीय है। तीन जुलाई 1948 को महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान वीर गति को प्राप्त हुए थे।

1947 में बंटवारे के दौरान क्षेत्र के छोटे से गांव बीबीपुर में पले बढ़े आर्मी आफिसर ब्रिगेडियर उस्मान ने पाकिस्तान सेना की बजाय भारतीय सेना का अंग बनने में ही गौरव महसूस किया। यही जज्बात परवान चढ़े तो वेश बदलकर कश्मीर पर कब्जा करने आ रहे पाक सैनिकों को नौशेरा से खदेड़ा पर स्वयं शहीदों में शुमार हो गया। मलाल इस बात का कि सेना एवं प्रशासन ने वायदे तो बहुतेरे किया पर आज तक इस महावीर चक्र विजेता के पैतृक गांव में उनकी एक अदद प्रतिमा भी न लग सकी। घोसी तहसील मुख्यालय से 11 किमी दूर गांव बीबीपुर के जमींदार परिवार के ब्रिगेडियर उस्मान ने पाक फौज के खिलाफ निर्णायक जंग में 03 जुलाई को ही वीरगति प्राप्त किया था। बात 1948 की है जब छद्म वेष धारण कर पाक सेना कश्मीर में आ घुसी और झांगड़ एवं नौशेरा पर कब्जा कर लिया। तब बतौर कमांडर ब्रिगेडियर उस्मान ने पाक सेना पर ऐसा कहर बरपाया कि नौशेरा पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया। यह अलग बात है कि 03 जुलाई 48 को यह जांबाज सेनानायक इस जंग में शहीद हो गया। भारत सरकार ने मरणोपरांत इस जांबाज को महावीर चक्र प्रदान किया। आजाद भारत में 50 पैरा ब्रिगेडि की प्रथम कमान संभालने वाले इस कमांडर की अब यादें ही शेष हैं।

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और क्या हुआ उन वायदों का

भारतीय सेना की पैरा रेजीमेंट आज तक प्रति वर्ष 03 जुलाई को ब्रिगेडियर उस्मान की याद में भव्य कार्यक्रम आयोजित करती है। उनकी शहादत के साठ वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2008 में पैरा रेजीमेंट के कुछ सैन्य अधिकारियों ने उनके पैतृक गांव का दौरा कर प्रतिमा स्थापना एवं उनकी हवेली को एक स्मारक का रूप दिए जाने का वायदा किया। कारण तमाम रहे पर अब तक कुछ भी क्रियान्वित न हो सका। जिला प्रशासन ने भी इस सूरमा की प्रतिमा स्थापना का वायदा किया पर अब तक सब कुछ शून्य में है।

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