आश्वासन की घुट्टी पिला कर सो गया लोक निर्माण विभाग
स्थानीय तहसील क्षेत्र का दरगाह-सिकड़ीकोल मार्ग जो कि बैरीसाथ खजुहां नुरुल्लाहपुर भैसहां सिकड़ीकोल सेमरा जैसे दर्जनों गांव का मधुबन-दोहरीघाट मुख्य मार्ग से जोड़ने का इकलौता संपर्क मार्ग है
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : स्थानीय तहसील क्षेत्र का दरगाह-सिकड़ीकोल मार्ग जो कि बैरीसाथ, खजुहां, नुरुल्लाहपुर, भैसहां, सिकड़ीकोल, सेमरा जैसे दर्जनों गांव का मधुबन-दोहरीघाट मुख्य मार्ग से जोड़ने का इकलौता संपर्क मार्ग है, पिछले साल अगस्त-सितंबर में हुई लगातार बारिश से सड़क के दोनों तरफ इतना अधिक जलजमाव हो गया था कि पानी सड़क के ऊपर से बहने लगा था। कई जगहों पर सड़क धंस गई थी और उसमे दरार आ गई थी। एक पुलिया भी पूरी तरह टूट कर पानी में बह गई थी जबकि दो पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई थीं। इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया था। हालांकि इस घटना के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा लोगों के आवागमन के लिये मिट्टी एंव ईंट के टुकड़े डाल कर किसी प्रकार आवागमन को बहाल कर दिया गया था और यह आश्वासन दिया गया था कि पानी का दबाव कम होते ही इस सडक एंव टूटी पुलिया का स्थाई निर्माण करा दिया जाएगा मगर पिछले 10 महीनों से लोग राह ताक रहे हैं कि अब काम शुरू होगा, स्थाई पुलिया का निर्माण होगा, टूटी सडक बनेगी मगर ऐसा लगता है कि विभाग लोगों को केवल आश्वासन की घुट्टी पिला कर ही सो गया।
विभाग अपने वादे पर खरा नहीं उतरा और आज भी पाटी गई मिट्टी एवं ईंट के टुकड़ों पर ही काम चल रहा है। न तो टूटी पुलिया बनी और न ही टूटी सड़क। अब जबकि फिर से बरसात शुरू हो चुकी है, इस मार्ग के दोनों तरफ पानी का दबाव बढ़ना शुरू हो गया है तो एक बार फिर स्थानीय लोग पिछले साल का मंजर याद कर भयभीत नजर आने लगे हैं कि किस प्रकार जगह जगह सडक धंस गई थी और पानी सड़क के ऊपर से बहने लगा था। लोग तो भयभीत हो रहे हैं मगर विभाग गहरी नींद में सो रहा है और ऐसा लगता है कि शयद उसे याद भी नहीं कि इस मार्ग पर पुलिया एवं सड़क का निर्माण भी करवाना है। इस विभागीय अनदेखी से प्रभावित गांव के लोग विभाग के प्रति काफी आक्रोशित दिख रहे हैं। पूर्व ब्लॉक प्रमुख रामकृपाल सिंह, प्रभुनाथ यादव, आशुतोष सिंह, मंटू सिंह, रामबृक्ष यादव, रमेश सिंह, पंकज चौबे आदि का कहना था कि हम सब को लोक निर्माण विभाग द्वारा ठगा गया है। यदि विभाग द्वारा अपने वादे को पूरा कर दिया गया होता तो अब तक इस सड़क कि दशा कुछ और ही होती। मगर काम चलता है तो चलने दो की तर्ज पर ईंट के टुकड़े और मिट्टी पाट कर ही काम चलाया जा रहा है। अब एक बार भीड़ संकट की घड़ी आने वाली है और पिछले साल का मंजर याद कर रूह कांप जाती है।