पशुपालन में दिखाई रूचि, 313 बेसहारों को मिली शरण

जागरण संवाददाता मऊ बेसहारा पशुओं के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। इनके संरक्षण के

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 03:15 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 03:15 PM (IST)
पशुपालन में दिखाई रूचि, 313 बेसहारों को मिली शरण
पशुपालन में दिखाई रूचि, 313 बेसहारों को मिली शरण

जागरण संवाददाता, मऊ : बेसहारा पशुओं के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। इनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं को 26 पशु आश्रय स्थलों में रखा गया है। ऐसे में अब 313 बेसहारा पशुओं को पालने के लिए पशुपालकों ने दिलचस्पी दिखाई। ये लोग गाय व गाय की बछिया का पालन कर रहे हैं। ताकि भविष्य में दूध देकर पशुपालकों के लिए रोजगार का साधन बन सके। इसके अलावा अभी 3895 बेसहारा पशु आश्रय स्थलों में रखे गए हैं। इन्हें सरकार की तरफ से हर दिन 30 रुपये प्रति पशु की दर से धनराशि प्रदान की जा रही है।

गोवंश संरक्षण के लिए परदहां, कोपागंज, रतनपुरा, बड़रांव, दोहरीघाट, रानीपुर, फतहपुर मंडाव, मुहम्मदाबाद गोहना, घोसी ब्लाक के पशुपालकों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है। वर्ष 2019 से पशु संरक्षण का कार्य चल रहा है। तबसे अब तक इन ब्लाकों के लोगों ने पशुपालन की जिम्मेदारी निभाई है। जनपद में 26 पशु आश्रय केंद्र बनाए गए हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में 18 व शहरी क्षेत्र में आठ शामिल हैं। इसमें रतनपुरा व पिजड़ा में वृहद गोशालाएं हैं। इसकी क्षमता 250 से लेकर 300 के करीब हैं। इन सभी पशुओं पर सरकार की तरफ से हर माह ढाई लाख रुपये खर्च किया जा रहा है ताकि इनका संरक्षण किया जा सके। इसके अलावा शासन ने आदेश दिया है कि जितने भी पशु गांवों में घूम रहे हैं, अस्थायी गोशाला बनाकर ग्राम प्रधान व सचिव इसका संरक्षण करें ताकि किसानों की फसलें क्षतिग्रस्त न कर सकें। ज्यादातर शिकायतें मिल रही हैं कि गांवों में अधिकांश बेसहारा पशु लोगों की फसलों को रौंद रहे हैं। ऐसे में शासन ने निर्देश दिया है कि अगर कहीं लापरवाही मिलती है तो इसके लिए ग्राम प्रधान व सचिव जिम्मेदार होंगे।

दूध उत्पादन के लिए पशुपालकों ने बछिया व गायों को लिया है। इनको प्रति पशु 30 रुपये के हिसाब से भुगतान भी किया जा रहा है। इनसे अन्य लोग भी सबक लेकर दुधारू पशुओं का संरक्षण करें ताकि वह दूध का व्यवसाय कर सकें।

-डा. एम प्रसाद, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

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