विकास के दौर में लौवासाथ आवागमन की सुविधा से वंचित

फतहपुर मंडाव ब्लाक से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर पूर्वोत्तर में जनपद के आखिरी छोर पर स्थित लौवासाथ गांव अब भी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव की कुल आबादी लगभग पांच हजार है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Mar 2021 06:22 PM (IST) Updated:Thu, 18 Mar 2021 06:25 PM (IST)
विकास के दौर में लौवासाथ आवागमन की सुविधा से वंचित
विकास के दौर में लौवासाथ आवागमन की सुविधा से वंचित

जागरण संवाददाता, रामपुर बेलौली (मऊ) : फतहपुर मंडाव ब्लाक से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर पूर्वोत्तर में जनपद के आखिरी छोर पर स्थित लौवासाथ गांव अब भी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव की कुल आबादी लगभग पांच हजार है। इस गांव में पहुंचने के लिए निजी साधन होना जरूरी है। इसके अभाव में लोगों को पैदल ही आना-जाना पड़ता है। कारण यह है कि आटो रिक्शा सिर्फ गजियापुर तक ही जाते हैं। वहां से लौवासाथ गांव में जाने के लिए निजी साधन अथवा पैदल जाना ही विकल्प है। गांव में रास्ता एवं जल निकास की व्यवस्था काफी चिताजनक है। गांव में एक कंपोजिट विद्यालय है। कक्षा 08 के बाद की पढ़ाई के लिए छात्रों को काफी दूर जाना पड़ता है। इस कारण अधिकांश लोग उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ग्रामीणों को चिकित्सा के लिए काफी परेशानियां झेलनी पड़ती है। चिकित्सीय सेवाओं के लिए लोगों को काफी दूरी तय करनी होती है। सरकारी सुविधाओं के लिए मधुबन अथवा फतहपुर मंडाव जाना पड़ता है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लोगों को खुले में शौच से निजात दिलाने के लिए चलाई गई योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है। आवास के अभाव में दर्जनों परिवार झोपड़ी में ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं। गांव में अनेक परिवार भूमिहीन है। उनके पास निजी जमीन नहीं है। शौचालय के अभाव में जब महिलाएं किसी के खेत में जाती हैं तो उस दौरान गालियां सुनकर शर्मसार होना पड़ता है। पात्र होते हुए भी शौचालय, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आवास विहीन दर्जनों परिवार जाड़े में झोपड़ी में ठंड झेलते हैं। उनके लिए सिस्टम में बर्फ जम जाता है और हर रात पूस की रात प्रतीत होती है। सिस्टम अभी तक उनके घर के लिए व्यवस्था नहीं कर पाया है। यही नहीं बरसात में जहां छप्पर टपकने लगती है तो वहीं गर्मी के अगलगी की आशंकाएं सताने लगती हैं। एक नजर में ग्रामसभा

2422 - कुल मतदाता

910 - महिला

1512 - पुरुष

500 - पात्र गृहस्थी कार्ड

55 - अंत्योदय कार्ड

850- मनरेगा जाबकार्ड

05 - दिव्यांग पेंशन

25 - वृद्धा पेंशन

30 - विधवा

40 - आवास

250 - शौचालय

12 - इंडिया मार्का हैंडपंप

05 - सोलर लाइट

01 - जच्चा बच्चा केंद्र

01 - कंपोजिट विद्यालय

01 - सरकारी नलकूप चौहद्दी--

पूरब- भगवानपुर (बलिया), पश्चिम नेवादा गोपालपुर, उत्तर अहिरूपुर तिघरा, दक्षिण बैरियाडीह (सुरैना)।

ग्रामीणों का दर्द

बाढ़ के दिनों में चारों तरफ से हमारा पुरवा पानी से घिर जाता है। आवागमन में काफी दिक्कत होती है। उस समय कोई अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि हम लोगों का हाल-चाल पूछने भी नहीं पहुंच पाते हैं। हमारे पुरवा में पात्रों को भी आवास नसीब नहीं हो सका है।

- रामप्रीत राजभर।

हमारे गांव में विकास तो हुआ है लेकिन बहुत से काम अधूरे हैं। जिन्हें पूरा कराया जाना बहुत जरूरी है। गंदे जल की निकासी नहीं होने के कारण लोगों को अपने घर के बगल में गड्ढा खोदकर नाबदान का पानी गिराया जाता है। इसमें पानी जमा होने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। लोग मलेरिया से पीड़ित होकर परेशान हो उठते हैं।

- लालबचन साहनी।

गांव में चिकित्सीय सुविधा का अभाव है। इस क्षेत्र में गांव काफी पिछड़ा हुआ है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहुत ही आवश्यक है। इसके अभाव में लोगों को झोलाछाप डाक्टरों की शरण लेनी पड़ती है। मुकम्मल इलाज के अभाव में बहुत से लोग अपना दम तोड़ देते हैं। गांव में मात्र एक जच्चा-बच्चा केंद्र है। वह भी काफी जर्जर हो चुका है। अधिकांश पात्रों को आवास, पेंशन व शौचालय नसीब नहीं हो सका है।

- जीता।

बरसात के दिनों में हाहानाला से जल निकास की व्यवस्था नहीं हो पाती है। इसके कारण बोए गए खेत भी पानी से डूब जाते हैं। फसल क्षतिग्रस्त हो जाती है। हाहानाला की खोदाई कई दशक पहले हुई थी। इससे पानी का निकास सुचारू रूप से हो जाता था और फसल क्षतिग्रस्त होने से बच जाती थी। इस समय नाला काफी पट गया है। इसकी खोदाई अति आवश्यक है। सिचाई के लिए मात्र ही एक सरकारी नलकूप है। दक्षिणी सिवान में एक दूसरा नलकूप लगाया जाना बहुत जरूरी है।

- देवनाथ राजभर। वर्जन--

दो आंगनबाड़ी कक्ष, सामुदायिक शौचालय, 100 मीटर सीसी, खड़ंजा व रास्ता का निर्माण कराया गया है। पैसे के अभाव में खड़ंजा का निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है। पंचायत भवन जर्जर हो चुका है। नया पंचायत भवन स्वीकृत हो गया है। जच्चा बच्चा केंद्र जर्जर हो गया है। गांव में अस्पताल बनवाया जाना बहुत जरूरी है।

- मीरा देवी, निवर्तमान ग्राम प्रधान।

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