विभागीय गलती से बड़रांव गांव का बंटाधार

प्रशासनिक स्तर पर किए गए सर्वे एवं तदनुसार बनी सूची का खेल यूं तो जगजाहिर है पर जब इस सूची के खेल के चलते राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित होने लगे तो सवालों की फेहरिस्त लंबी हो जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Oct 2018 05:17 PM (IST) Updated:Wed, 17 Oct 2018 05:17 PM (IST)
विभागीय गलती से बड़रांव गांव का बंटाधार
विभागीय गलती से बड़रांव गांव का बंटाधार

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : प्रशासनिक स्तर पर किए गए सर्वे एवं तदनुसार बनी सूची का खेल यूं तो जगजाहिर है पर जब इस सूची के खेल के चलते राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित होने लगे तो सवालों की फेहरिस्त लंबी हो जाती है। हालांकि इसका खामियाजा प्रभावित व्यक्ति या संस्था को भुगतान पड़ता है। तहसील अंतर्गत बड़रांव ब्लाक की बड़रांव ग्राम पंचायत बेस लाइन सर्वे सूची में 543 बाहरी नागरिकों का नाम शामिल होना इसका जीवंत प्रमाण है। अब हाल यह कि यहां के वास्तविक पात्र गरीबों ने मौखिक आश्वासन पर शौचालय का निर्माण तो करा लिया है पर शौचालयों की फोटो अपलोड न होने से प्रशासनिक अभिलेखों में गांव फिसड्डी बना हुआ है।

ग्राम पंचायत बड़रांव की बेस लाइन सर्वे सूची में कुल 708 नागरिक सूचीबद्ध हैं। इनमें से राजस्व ग्राम बड़रांव की सूची में 558 हैं। विडंबना यह कि इन 558 में से इस गांव के मूल निवासी महज 100 ही हैं। अन्य 458 किस गांव के हैं और कैसे यहां की सूची में नाम अंकित हो गया, पता नहीं। इसी प्रकार राजस्व ग्राम करनपुर की सूची में अंकित 150 में 65 ही यहां के हैं और अन्य 85 को कोई जानता ही नहीं है। अब सवाल यह कि इन अज्ञात नागरिकों की तलाश कौन करे और इनके घर शौचालय बनवाए कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह गांव सौ फीसदी संतृप्त हो जाए। कई माह पूर्व ग्राम प्रधान प्रेमबदा राय ने बाहरी लोगों के नाम की सूची प्रस्तुत करते हुए ब्लाक स्तर पर समस्या उठाया। ब्लाक कार्यालय को उन्होंने वास्तविक पात्रों की सूची भी सौंपा। उन्हें इन सभी का नाम हटाकर उनके द्वारा दी गई सूची को शामिल किए जाने का आश्वासन मिला। खास यह कि प्रधान की सूची के अनुसार 497 गरीबों के खाते में शौचालय निर्माण हेतु प्रोत्साहन राशि भी आ गई। इन सभी ने शौचालय भी बनवाया है। उधर इस सबके बावजूद न तो बाहरी लोगों का नाम हटा है ना इस गांव के वास्तविक लोगों का नाम अंकित हो सका है। यह संशोधन न होने से स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर इनके शौचालय की फोटो अपलोड नहीं हो रही है। बेहतर कार्यप्रणाली के चलते अप्रैल 16 में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत यह ग्राम प्रधान श्रीमती राय इसे प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए जनपद एवं प्रदेश स्तर पर ग्राम पंचायत फिसड्डी साबित होने पर सवाल खड़ा करती हैं।

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यह है सवाल

इस मामले से जुड़ा बड़ा सवाल यह कि यदि बेसलाइन सर्वे सूची संशोधित नहीं हुई तो फिर कैसे इस गांव के 497 शौचालय लाभार्थियों के खाते में धनराशि प्रेषित की गई। नियमानुसार बेस लाइन सूची में नाम न होने पर एमआइएस नहीं हो सकता है। एमआइएस न होने पर लाभार्थी के खाते में धनराशि नहीं प्रेषित की जा सकती है।

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हाल ही में मामला संज्ञान में आया है। यह त्रुटि ब्लाक लेवल पर हुई है। अब अंतिम घड़ी में संशोधन आसान नहीं है। इस बाबत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

-शीतला प्रसाद ¨सह, डीपीआरओ, मऊ

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