गूंजती सदा दूर तलक सुनायी दी

By Edited By: Publish:Mon, 21 Jan 2013 08:52 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2013 08:55 PM (IST)
गूंजती सदा दूर तलक सुनायी दी

घोसी (मऊ) : 'कहीं अजान कहीं भजन, कहीं हुआ नमन। कहीं कसम, कहीं वचन, किसी का देवता हुसैन। सितम की दुरिशें हुई, लहू की बारिशें हुई, हजार बंदिशे हुई, यकीन ये अजा हुसैन।।' दुनिया के मारूफ एवं मशहूर नौहाखां आमिर हसन ने आठ रबीउलअव्वल यानी अय्यामे अजा के आखिरी दिन सोमवार को जब एक के बाद एक ऐसे ही नौहे अपने अंदाज एवं रौ में पढ़ा तो स्थानीय नगर का बड़ागांव मुहल्ला मातमी माहौल में नहा उठा।

बड़ागांव नगर हुसैन वालों का है, अजादारों का है, इसका पुख्ता प्रमाण मिला पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लाह अलैय वसल्लम हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की करबला के सहरा में शहादत के साठवें रोज। सोमवार शोगवार साबित हुआ जब मस्जिदे जहरा से अलम एवं ताबूत का जुलूस निकाला। हर घर खाली हो गया और अजादारों में खवातिनों एवं बच्चों की शिरकत ऐसी कि नौहा एवं तकरीर के दरम्यान तिल भर जगह न बची। हजारों हाथ एक साथ मातम करते तो 'या अली..या हुसैन' की गूंजती सदा दूर तलक सुनायी दी। मौलाना शफकत तकी कुम्मी की नेजामत में मौलाना सैय्यद अली फखरी की तकरीर के बाद शबीहे ताबूत एवं अलम मुबारक जुल्जनाह प्रात:काल नौ बजे बरामद हुआ। मौलाना ने सोगवारों को बताया कि- 'काफिला हुसैनी जो 28 रजब सन 60 हिजरी को मदीने मुन्नवरा से दीने इस्लाम को बचाने के लिए निकला था, आठ रबीउलअव्वल सन् 62 हिजरी को तमाम कुर्बानियां पेश करता हुआ यजीद के चेहरे से घिनौने परदे को तार-तार करता हुआ इमाम हुसैन की बहन हजरते जैनब की कयादत में मदीने रसूल पहुंचा। अपने नाना के मदीने को देखकर जनाबे जैनब ने कहा कि ऐ नाना अब न हमारा सुहाग बाकी है ना गोद में हमारे बच्चे हैं। मगर ऐ नाना सुबहे कयामत के लिए हमारे भाई की कुर्बानी ने अल्लाह के दिन को महफूज कर दिया है।' जनाबे जैनब की यह कैफियत सुनकर हुसैनवाले अश्कवार हो उठे। सभी मुकामी अंजुमनों सहित गाजीपुर की अंजुमन हैदरिया एवं जंगीपुर की हैदरिया ने तामत किया। मुकामी नौहाखां शफकत तकी, शहादत हुसैन, मजाहिर हुसैन, वसीउल हसन, गजनफर, अम्बर हुसैन, जफर अब्बास एवं मुहब्बत अली ने नौहा पेश किया। 'दुनिया में जनाब इमाम हुसैन एवं जनाबे जैनब जैसा भाई-बहन नहीं हुआ' का भाव एक बार फिर इस फानी दुनिया में यकीन एवं कामिल की अंतिम मंजिल तक पहुंचा। बहरहाल मस्जिदे जहरा से निकला जुलूस देर सायं सदर इमाम बारगाह पर तमाम हुआ इस वादे के साथ कि-बचे तो अगले बरस हम हैं और ऐ गम फिर है, जो चल बसे तो अपना सलाम आखिरी है।

..और बच्चों का दिखा जोश

यूं ही नहीं इमाम हुसैन आज भी हर इंसान चाहे किसी भी मजहब का हो याद किए जाते है और उनकी शहादत का जिक्र कायम है। इसकी गवाही मिली जब नौहा एवं मातम के दौरान एक मासूम भी सीनाजनी के साथ या अली या मौला की सदा बुलंद करता दिखा।

जाम रहा राजमार्ग

यकीन एवं कामिल का मंजर ऐसा कि खुद पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक घंटे के लिए आवागमन ठप कर दिया। सड़क पर हुजूम ऐसा कि कोतवाल सारंगधर द्विवेदी एवं एसएसआई छविनाथ सिपाहियों संग मुस्तैदी के चलते ही परम्परा के अनुसार कार्यक्रम संपन्न कराने में सफल रहे।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

chat bot
आपका साथी