जन्माष्टमी के एक दिन पहले से ही सांवरे की धरती पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

भगवान कृष्ण का अवतरण हुए 5243 साल बीत गए। उनके प्राकट्य के 5244वें वर्ष में सांवरे की धरती पर हर तरफ-झंगा झोली पालकी, जै कन्हैया लाल की-गूंज हो रही है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sun, 02 Sep 2018 07:57 PM (IST) Updated:Sun, 02 Sep 2018 11:55 PM (IST)
जन्माष्टमी के एक दिन पहले से ही सांवरे की धरती पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
जन्माष्टमी के एक दिन पहले से ही सांवरे की धरती पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

मथुरा (जेएनएन)। यह कलियुग की 52वीं सदी है। भगवान कृष्ण का धरती पर अवतरण हुए 5243 साल बीत गए। उनके प्राकट्य के 5244वें वर्ष में सांवरे की धरती पर रविवार को ही हर तरफ-झंगा झोली पालकी, जै कन्हैया लाल की-गूंज हो रही है। सोमवार को फिर अजन्मा आधी रात को अवतार लेने जा रहा है। गोपेश्वर की इस लीला को देखने के लिए मथुरा-वृंदावन में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। 

 

जन्मस्थान पर कार्यक्रम

जन्माष्टमी के दिन सुबह 7 बजे गौरांग लीला, 9 बजे पुष्पांजलि महंत नृत्यगोपाल और काष्र्णि महाराज, सायं सात बजे श्रीकृष्ण लीला, रात 11 बजे गणेश पूजन, 12 बजे प्राकट्योत्सव, 12.15 से जन्माभिषेक, 12.40 शृंगार आरती, 1.30 बजे तक दर्शन। बांके बिहारी में रात 1.55 पर मंगला आरती।  प्रेम मंदिर में रात आठ बजे कृष्ण रासलीला, मध्य रात्रि अभिषेक होगा। अभिषेक के बाद 12.45 से एक बजे तक भोग और रात्रि एक बजे आरती होगी। 

देशभर से लोगों का रेला 

यह भगवान कृष्ण के इस धरा पर अवतरण का 5244वां वर्ष है। इस गिनती से बेपरवाह भक्त मुरलीधर का रूप निहारने श्रीकृष्ण जन्मस्थान की तरफ बढ़ते आ रहे हैं। देशभर से लोगों का रेला उमड़ रहा है। रविवार को सुबह से लगातार हो रही बारिश के बीच लंबी कतार में लगने के बावजूद चेहरे पर शिकन नहीं थी। युवा इस पल को यादगार बनाने के लिए सेल्फी भी ले रहे थे। ऐसा ही उत्साह केशवदेव मंदिर, द्वारिकाधीश, बांके बिहारी मंदिर पर भी दिखाई दिया। रात होते ही ये मंदिर रंगबिरंगी रोशनी से नहा उठे। व्यवस्था संभालने को तीन हजार से अधिक जवान तैनात किए गए हैं। मथुरा और वृंदावन में सभी होटल, गेस्ट हाउस और आश्रमों में कमरे फुल हो चुके हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं ने सड़कों और खुले स्थानों पर डेरा जमा लिया है। जगह-जगह भंडारे चल रहे हैं। 

प्राचीन मंदिरों में छाया उल्लास

ब्रज के कुछ मंदिरों में रविवार को ही जन्माष्टमी मनाई गई। प्राचीन मंदिर ठा. केशवदेव, मल्लपुरा स्थित प्राचीन ठा. गोपीनाथ मंदिर और गौडिय़ा मठ में भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया गया। गोकुल में कान्हा की छठी पूजन की धूम रही। जन्मोत्सव के लिए केशवदेव मंदिर को फूलों से सजाया गया था। सायं सात बजे से श्री कृष्ण सामूहिक संकीर्तन मंडल द्वारा भजन संध्या हुई। रात 10 से 11 बजे तक ठाकुर केशवदेव का अभिषेक सेवायतों ने किया। मंत्रोच्चारण के मध्य 101 किलो केसर युक्त दूध, दही, शहद, घी, बूरा आदि से भगवान का अभिषेक किया गया। सुगंधित इत्र भगवान को अर्पित कर कोलकाता में बने पीले वस्त्र ठाकुरजी को धारण कराए गए। रात 11 से 12 बजे तक ठाकुरजी के श्रृंगार के चलते मंदिर के पट बंद रहे। रात 12 बजे जन्म के दर्शन और आरती के समय मंदिर परिसर जयघोष से गुंजायमान हो उठा। छठी पूजन के लिए गोकुल स्थित नंदकिला, नंदभवन मंदिर की सजावट आकर्षित कर रही थी। शाम सात बजे पुजारियों ने छठी पूजन किया। 

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