राधाकुंड में होगा संतान की प्राप्ति को दंपती स्नान

स्थान मेला अहोई अष्टमी 31 अक्टूबर व एक नवंबर को

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Oct 2018 11:37 PM (IST) Updated:Fri, 26 Oct 2018 11:37 PM (IST)
राधाकुंड में होगा संतान की प्राप्ति को दंपती स्नान
राधाकुंड में होगा संतान की प्राप्ति को दंपती स्नान

रसिक शर्मा, गोवर्धन: संतान की चाहत लिए दंपती जल स्वरूपा राधारानी के राधाकुंड में विश्वास के गोते लगाएंगे। स्नान मेला 31 अक्टूबर और एक नवंबर को लगेगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार अहोई अष्टमी पर राधाकुंड में आधी रात स्नान करने वाले दंपती को संतान की प्राप्ति होती है। स्नान के उपरांत एक पसंदीदा फल छोड़ने का विधान है तो पेठा फल का दान भी परंपरा में शामिल है। तमाम देशी और विदेशी दंपती यहां आकर अपना आंचल फैलाएंगे। वहीं संतान की सुख प्राप्त करने वाले दंपती इस रात राधारानी का आभार जताने के लिए स्नान करेंगे।

पंडित जगन्नाथ शर्मा के अनुसार मान्यता है कि निसंतान दंपति कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि राधाकुंड में स्नान करते हैं तो जल्द ही उनके घर बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती हैं। राधा को वरदान है कृष्ण का:

राधाकुंड अरिष्टासुर की नगरी अरीठ वन थी। अरिष्टासुर बलवान व तेज दहाड़ वाला राक्षस था। उसकी दहाड़ से आसपास के नगरों में गर्भवती के गर्भ गिर जाते थे। गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर ने बछड़े का रूप रखकर भगवान कृष्ण को मारने की कोशिश की। कान्हा के हाथों बछड़े का वध करने से उन्हें गोहत्या का पाप लग गया। प्रायश्चित के लिए श्रीकृष्ण ने बांसुरी से कुंड बनवाया और तीर्थों का जल यहां एकत्रित किया। इसी तरह राधारानी ने भी अपने कंगन से कुंड खोदा और तीर्थों का जल एकत्र किया। जब दोनों कुंड भर गए तो कृष्ण और राधा ने रास किया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी निसंतान दंपति अहोई अष्टमी की रात यहां स्नान करेगा, उसे सालभर के भीतर संतान की प्राप्ति होगी। इसका उल्लेख ब्रह्मा पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड में है।

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