पंडा ने ओढ़ा भक्ति का चोला, शीतल हुआ हर एक शोला

फालैन में धधकते होलिका से सकुशल निकला बाबूलाल पंडा सवा पांच बजे पंडा को दीपक की लौ हुई शीतल पंडा ने होलिका में रखे 19 कदम

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 12:51 AM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 12:51 AM (IST)
पंडा ने ओढ़ा भक्ति का चोला, शीतल हुआ हर एक शोला
पंडा ने ओढ़ा भक्ति का चोला, शीतल हुआ हर एक शोला

कोसीकलां(मथुरा), संसू। भक्त प्रह्लाद सरीखी भक्ति का शंखनाद करने को बाबूलाल पंडा को तप के दीपक से इजाजत मिली तो गगन को चूम रही होलिका की लपटें शीतल हो गई। यह भक्ति की शक्ति थी कि प्रह्लादजी की माला धारण कर पंडा ने होलिका में प्रवेश किया तो भस्म करने को आतुर होलिका के अंगार फूल सरीख हो गए। 19 कदम रख पंडा ने एक बार पुन: भक्त और भगवान के संबंध से श्रद्धालुओं का परिचय कराया।

प्रहलाद नगरी फालैन बुधवार की शाम से ही भक्ति में शक्ति की परीक्षा की गवाह बनने उमड़ी थी। गली - गलियारों से लेकर विशाल होलिका के स्वरूप के आसपास श्रद्धालुओं के सैलाब ने भक्त प्रहलाद के जयघोष कर आस्था के उत्साह को दोगुना कर दिया। गुरुवार तड़के चार बजे लग्नानुसार तप में तल्लीन बाबूलाल पंडा ने अखंड दीपक की लौ पर होलिका से गुजरने की इजाजत मांगी। होलिका में प्रवेश की लग्न प्रारम्भ होते ही श्रद्धालुओं का सैलाब होलिका के आसपास उमड़ पड़ा। मंत्रोच्चार के बीच बाबूलाल पंडा बार-बार दीपक पर हाथ रख होलिका में प्रवेश की इजाजत मांगी। करीब सवा घंटे बाद दीपक की लौ से बाबूलाल पंडा को शीतलता का आभास हुआ तो उन्होंने प्रह्लादजी महाराज की जयघोष की तो आस्था का समंदर हिलोरे लेने लगा। बाबूलाल पंडा का इशारा मिलते ही होलिका में अग्नि प्रवेश कराई गई। कुछ ही देर में धधक उठी होलिका के ताप से हर कोई छिपने को मजबूर हो गया। गगन चूमती आग की लपटें मानों किसी भी चीज को जलाकर भस्म करने को आतुर थीं। प्रहलादजी की माला गले में धारण कर बाबूलाल पंडा ने प्रह्लाद कुंड में स्नान कर होलिका की ओर दौड़ लगा दी। वे 10 फुट ऊंची होलिका पर कुल 19 कदम रखकर सकुशल प्रह्लादजी के मंदिर में जा पहुंचे। पंडा के सकुशल मंदिर में पहुंचते ही सैलाब ने भक्त वत्सल भगवान के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। बीच होलिका में पंडा का धंस गया पैर:

होलिका से निकलने के दौरान बाबूलाल पंडा जैसे ही होलिका के बीच में पहुंचे अचानक उनका पैर धंस गया। उन्होंने दोनों हाथ रखकर अपना पैर निकाला। इस दौरान वे कुछ सेकेंड के लिए रुके भी, लेकिन अगले ही पल वे तेजी से आगे बढ़ गए और होलिका से सकुशल निकल गए।

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