मोमबत्ती और मोबाइल की रोशनी में तैयारियों पर छूटा पसीना

बारिश से बिगड़ी से मतदान केंद्रों की स्थिति कक्ष का पत्थर गिरने से मची खलबली

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Apr 2019 12:21 AM (IST) Updated:Thu, 18 Apr 2019 06:13 AM (IST)
मोमबत्ती और मोबाइल की रोशनी में तैयारियों पर छूटा पसीना
मोमबत्ती और मोबाइल की रोशनी में तैयारियों पर छूटा पसीना

मथुरा, जेएनएन। प्रशासन की महीनों की दौड़ धूप पर बुधवार की शाम को बरसात ने पानी फेर दिया। चुरमुरा गांव (426 बूथ) के स्कूल की छत का पत्थर उस समय गिर गया, जब मतदान दल गुरुवार सुबह सात बजे से मतदान शुरू कराने की तैयारियां कर रहा था। बुधवार देररात अतिवृष्टि और वर्षा के कारण बिजली की आपूर्ति ठप हो गई। मतदान केंद्रों भी जलभराव की चपेट में आ गए। कर्मचारियों को मोबाइल की टार्च और मोमबत्ती की रोशनी में गुरुवार की सुबह सात बजे से शुरू होने वाले मतदान की तैयारियां करते रहे। देररात तक वर्षा हो रही थी।

विकास खंड फरह के गांव चुरमुरा के प्राथमिक विद्यालय को मतदान केंद्र बनाया गया है। बूथ 426 को जिस कक्ष में बनाया गया था, उसका शाम को ताला खोलने के कुछ देर बाद ही छत का पत्थर टूट कर नीचे गिर गया। पीठासीन अधिकारी कमलेश कुमार ने बताया कि इसकी सूचना जोन और सेक्टर मजिस्ट्रेट को अवगत करा दिया गया है। कक्ष को बदल दिया गया है। वृंदावन के गोस्वामी छबीले लाल प्राइमारी पाठशाला मतदान केंद्र-132 पर तीन बूथ है। बूथ-37 के पीठासीन अधिकारी नानकचंद्र, बूथ-35 के जीवन लाल और बूथ-36 के पीठासीन अधिकारी रोहताश सिंह ने बताया कि बूथ पर बिजली की व्यवस्था नहीं की गई है। कुर्सी, टेबल और रैंप, पेयजल की भी व्यवस्था नहीं की गई है। कक्ष भी 8 गुणा 10 के बने हैं, जबकि मतदान कराने के लिए बड़े हॉल चाहिए। पब्लिक जूनियर हाईस्कूल मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी डॉ. शोभित भी बताया कि मतदान केंद्र पर जो व्यवस्था होनी चाहिए थी, वह नहीं है। महावन तहसील के गांव सिहोरा के मतदान केंद्र पर जलभराव हो गया है। बेरीकेडिग तक नहीं हो सकी है। बरसात से बिजली की आपूर्ति ठप हो गई थी।

कस्बा सौंख के प्राथमिक विद्यालय मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी रामपाल और ओपी बोहरा ने बताया कि शाम छह बजे से बिजली नहीं है। मतदान दल सुबह सात बजे से मतदान शुरू कराने के लिए मोबाइल और मोमबत्ती की रोशनी में तैयारी करता रहा। खाने पीने के लिए हालांकि मतदान दल को मानदेय दिया गया था, लेकिन इनकी खानपान के इंतजाम भी क्षेत्रीय नागरिकों ने कराई।

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