यमुने तुम बहती क्यों हो, कौन सुनता है पीर

यमुना मैया की जय बोलने वाले अब गंगा के पानी की आस में, राजनीतिक हित साधने का साधन बन गई हैं नदियां और श्रद्धा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Nov 2018 12:18 AM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 12:18 AM (IST)
यमुने तुम बहती क्यों हो, कौन सुनता है पीर
यमुने तुम बहती क्यों हो, कौन सुनता है पीर

मथुरा, जासं: यमुना मैया आखिर बहती क्यों हैं। तीन राज्य और 50 से अधिक जिलों को पारकर मथुरा में मलिन धारा महज एक नाला भर है। श्रद्धा है जो नदियों को मैया तो बनाती है लेकिन उसकी पीर सुनने को कोई तैयार नहीं।

वृंदावन के घाटों पर यमुना के जलीय जीवों का मरना शुरू हो गया है। जाहिर है कि यमुना के पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा इतनी कम हो गई है कि वह जलीय जीवों को जीवन नहीं दे पा रही है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी इसके अध्ययन में लगा है कि आखिर जल में किस तरह का प्रदूषण बढ़ा है। यह बात वह भी स्वीकारता है कि हर साल की तरह सर्दी आते ही यह संकट फिर बढ़ गया है। यमुना के पानी में लगातार गिर रहे नाले अब इसे जीने नहीं देंगे।

इधर, भक्ति जारी है। यमुना मैया की जय बोलने वाले अब गंगा के पानी की आस में हैं। कुछ संगठन प्रदूषण की ¨चता करने की बजाए घाटों पर आयोजनों की तैयारी में हैं। यमुना में हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी ने ¨सचाई विभाग के एक्सीयन एमएम ¨सह पर डाली। उन्हें रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा है। उन्होंने यह जिम्मेदारी एसडीओ ¨सचाई संजीव तिवारी के कंधों पर फेंक दी। संजीव ने यह जिम्मेदारी जिलेदार राजवीर पर डाल दी, लेकिन रिपोर्ट अब तक दर्ज नहीं की गई। कारण जानने पर एक्सीयन का जवाब था कि उनके पास और भी काम करने को हैं। इन लापरवाह अधिकारियों का आचरण ऐसा है कि मानो वह पूछ रहे हों कि यमुने तुम बहती ही क्यों हो। पता नहीं यमुना मैया इस बार अपने उद्धार के लिए किसे आवाज देंगी। सही मायने में नदियां और श्रद्धा राजनीतिक हित साधने का साधन बन गई हैं।

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यमुना में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इसके लिए हमारी टीम ने यमुना के पानी के नमूने लिए हैं। इसका अध्ययन किया जा रहा है। आंकड़े आने के बाद ही ठोस तरीके से यह बताया जा सकता है कि माजरा क्या है।

- डॉ. अर¨वद कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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