181 दिन के बाद फिर सजा तहसीलों में अफसरों का दरबार

जेएनएन मथुरा कोरोना काल में जनता की समस्याओं की सुनवाई की सरकारी व्यवस्था भी बदल गई। 18

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Sep 2020 05:27 AM (IST) Updated:Wed, 16 Sep 2020 05:27 AM (IST)
181 दिन के बाद फिर सजा तहसीलों में अफसरों का दरबार
181 दिन के बाद फिर सजा तहसीलों में अफसरों का दरबार

जेएनएन, मथुरा: कोरोना काल में जनता की समस्याओं की सुनवाई की सरकारी व्यवस्था भी बदल गई। 181 दिनों के बाद मंगलवार को तहसीलों में संपूर्ण समाधान दिवस पर अधिकारी पहुंचे, तो फरियादी भी समस्या के समाधान की उम्मीद में पहुंचे। कोविड-19 से बचाव को लेकर कहीं सतर्कता दिखी, तो कहीं लापरवाही। डीएम सर्वज्ञराम मिश्रा और एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर खुद छाता तहसील पहुंचे।

22 मार्च से जनता क‌र्फ्यू के बाद ही लॉकडाउन लग गया। ऐसे में आखिरी संपूर्ण समाधान दिवस 17 मार्च को आयोजित हुआ था। करीब सात माह बाद फिर अफसरों का दरबार सजा, तो समस्याएं भी खूब थीं। छाता तहसील में खुद डीएम और एसएसपी मौजूद रहे। यहां थर्मल स्क्रीनिग और हाथ सैनिटाइज करने के बाद फरियादियों को हॉल में भेजा गया। एक-एक कर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए समस्या सुनी गईं। छाता कस्बे के चंद्रपाल सिंह अपने खेतों से धान लेकर पहुंचे, बोले दवा विक्रेता ने दवा ठीक नहीं दी। डीएम ने जांच के निर्देश दिए, लेकिन साथ में खेतों में पराली न जलाने की हिदायत भी दे दी। छाता और कोसीकलां के प्राथमिक स्कूलों में साफ-सफाई के मुद्दे पर बीएसए को बुलाया, तो वह गायब थे। उनके स्थान पर एबीएसए नवीन कुमार खड़े हो गए। नाराज डीएम ने बीएसए का एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए। कहा बीएसए अक्सर बहाने बनाते हैं। पहले दिन 58 शिकायतें आईं, दो का मौके पर ही निस्तारण कर दिया गया। उधर, महावन में 16 शिकायतें आईं। एक का भी मौके पर निस्तारण नहीं हो सका। कुछ समय एसडीएम महावन कृष्णानंद तिवारी व एएसपी अनुरुद्ध कुमार मौजूद रहे। तहसीलदार सुभाष चंद्र यादव ने समस्या सुनी। गोवर्धन में तहसीलदार पवन पाठक ने समस्याएं सुनीं। यहां शारीरिक दूरी का पालन किया गया और फरियादियों के पहले हाथ सैनिटाइज कराए गए। महावन तहसील में सुरक्षा के प्रति लापरवाही दिखी। यहां सैनिटाइजर तो रखा था, लेकिन इस्तेमाल नहीं किया गया। थर्मल स्क्रीनिग मशीन थी, लेकिन कर्मचारी जांच नहीं कर रहे थे। टोकन नंबर से मिला प्रवेश

मथुरा: सदर तहसील में फरियादियों को टोकन नंबर देकर ही एक-एक कर बुलाया गया। अधिकारियों के पास पहुंचने से पहले हाथ सैनिटाइज कराए गए। एक दर्जन शिकायतें पहुंचीं। अधिकांश जलनिकासी और सरकारी जमीन पर कब्जे की थीं। कोविड से बचाव को जिम्मेदार बेपरवाह

कोसीकलां: कोरोना काल में संपूर्ण समाधान दिवस लगा, तो बचाव के इंतजाम भी किए गए थे। सैनिटाइजर, थर्मल स्क्रीनिग मशीन के साथ कर्मचारियों की तैनाती की गई। तहसील सभागार के पहले द्वार पर तैनात कर्मचारी लापरवाह दिखे। फरियादियों को न तो रोका और न ही शारीरिक दूरी का पालन करने को कहा। पंजीयन काउंटर पर तो संक्रमण की रोकथाम के इंतजाम ही नहीं थे। यहां कर्मचारी पंजीयन नहीं कर रहे थे, शिकायत पर तहसील अधिकारी पहुंचे और कर्मचारियों को फटकारा।

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