अब भी नहीं चेते तो बरसाती नालों से बहेगी आफत

जागरण संवाददाता, मथुरा: मानसून सिर पर है, रजवाह और नहरें तो सिल्ट से अटे ही पड़े हैं। ¨सचाई विभाग ने

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jun 2017 11:06 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jun 2017 11:06 PM (IST)
अब भी नहीं चेते तो बरसाती नालों से बहेगी आफत
अब भी नहीं चेते तो बरसाती नालों से बहेगी आफत

जागरण संवाददाता, मथुरा: मानसून सिर पर है, रजवाह और नहरें तो सिल्ट से अटे ही पड़े हैं। ¨सचाई विभाग ने उन नालों की सफाई भी नहीं कराई है, जिनसे होकर बारिश का पानी निकलता है। जिले भर की ड्रेन पिछले सालों की तरह इस बार भी खेतों में जल प्लावन की स्थिति पैदा कर सकती हैं। यदि जिले की 35 प्रमुख ड्रेन की साफ सफाई नहीं कराई गयी तो एक अनुमान के अनुसार पांच हजार एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि प्रभावित हो सकती है। ¨सचाई विभाग की अनदेखी की शिकायत गुरुवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से भी की गयी है।

अंग्रेजों के समय का ¨सचाई सिस्टम बुरी तरह दम तोड़ रहा है। ¨सचाई के लिए रजवाह, नहर, बंबा, अल्पिका आदि बने हुए हैं तो बरसाती पानी की निकासी के लिए ड्रेन भी मौजूद हैं, लेकिन ¨सचाई विभाग की लापरवाही और कागजों पर ही सफाई करा देने की वजह से सामान्य दिनों में कृषकों को ¨सचाई के लिए समुचित पानी नहीं मिल रहा तो बारिश के मौसम में ड्रेन ओवर फ्लो होकर खेतों को जलमग्न करती हैं।

जिले में ऐसी 126 ड्रेन (नाले) हैं, जो बरसाती पानी की निकासी करती हैं। सालों से इनकी सफाई नहीं कराई गयी है। इस वजह से हर साल मानसून के सीजन में ग्रामीण अंचल में जल प्लावन की स्थिति पैदा हो रही है। जल प्लावन से खरीफ में धान तक की फसल नष्ट हो रही है। रबी की फसल में किसान गेंहू की बुवाई तक नहीं कर पा रहे हैं।

हालत यह है कि जिले की कुल 126 ड्रेन में से 35 ड्रेन ऐसी हैं, जो हर साल बारिश के मौसम में जल प्लावन की स्थिति पैदा कर रही हैं। पिछले साल अच्छे मानसून के कारण जिले में हजारों एकड़ कृषि भूमि पानी में डूबी रही थी। इस बार भी मानसून अच्छा होने के संकेत मिल रहे हैं, जाहिर है आसमान से गिरने वाले बारिश के पानी की मुकम्मल निकासी इस बार भी नहीं हो पाएगी, क्योंकि ¨सचाई विभाग ने पिछले एक साल में इनकी सफाई नहीं कराई है।

इस संबंध में भाजपा के पूर्व विधायक चौ. प्रणत पाल ¨सह ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से शिकायत की। उन्होंने जिले की समस्त प्रमुख ड्रेन (नाला या एस्केप) का ब्योरा देते हुए कहा कि यदि अब भी इनकी सफाई नहीं कराई तो बारिश के मौसम में जल प्लावन से दुखी किसान आत्महत्या को भी मजबूर हो सकते हैं। जल प्लावन से त्राहि-त्राहि मची तो विभाग जिम्मेदार होगा।

ये हैं जिले की प्रमुख ड्रेन: फकरपुर, गिडोह, हुलवाना, गोवर्धन, राधाकुंड कट, मोरा, अड़ींग कट व नाला, पेठा, बोरपा, सोनकट व ड्रेन, लालपुर, कुंजेरा, जुनसुटी, उस्फार, फौंडर, सेरा-सवला, बामौली, मुड़ेसी, भदार, कुदर वन, लोही, कराहरी, कुडवारा, नीमगांव, लोहागढ़, जैंसवा, ¨बदु बुलाकी, राया, ब्यौंही, बिजारी, सिहोरा कट, सौंख व पचावर ड्रेन की सफाई होना अति जरूरी हो गया है। इनमें फरहपुर ड्रेन ओवरफ्लो होने से ही हर साल करीब 1200 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न होती है।

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