लुधियाना के दान पर पल रहीं 1300 गायें

जागरण संवाददाता, वृंदावन(मथुरा): अक्रूर गांव के समीप स्थित श्री गो¨वद गो धाम गोशाला भी दान से संचालि

By Edited By: Publish:Mon, 29 Aug 2016 01:00 AM (IST) Updated:Mon, 29 Aug 2016 01:00 AM (IST)
लुधियाना के दान पर पल रहीं 1300 गायें

जागरण संवाददाता, वृंदावन(मथुरा): अक्रूर गांव के समीप स्थित श्री गो¨वद गो धाम गोशाला भी दान से संचालित है। बतौर दान सर्वाधिक पैसा लुधियाना से आता है। लुधियाना में ही दान से मिले पैसे की आडिट होती है। दुर्घटना में घायल गाय ही यहां ज्यादा आती हैं। हर महीने आठ लाख रुपये से अधिक व्यय यहां गायों पर हो रहा है।

10 एकड़ क्षेत्र में स्थित इस गोशाला में 1310 गो वंश हैं। इनमें से 20-22 गाय ही दुधारू हैं। अधिकतर बीमार हैं। श्री गो¨वद गो धाम गोशाला में होडल और रैपुरा जाट समेत काफी दूरदराज क्षेत्रों से एक्सीडेंटल और बीमार गो वंश लाकर पाले-पोसे जाते हैं। मैनेजर अमर नाथ ¨सगला ने बताया कि यहां गो वंश के आहार और उनके इलाज आदि पर हर माह आठ-दस लाख रुपये व्यय होता है। मुख्य तौर पर दान का पैसा उनके मुख्यालय लुधियाना से ही समय-समय पर आता है। वृंदावन में नहीं के बराबर दान मिलता है, इसलिए हिसाब-किताब भी मुख्यालय पर ही रहता है। यहां 20-22 गायें ही 25 लीटर दूध देती हैं। इसका वितरण गोशाला के सेवकों को किया जाता है। गो वंश के लिए 10 शेड और एक कच्चा बाड़ा है।

50 फीसद गो वंश तोड़ देता है दम

-गोशाला में वेटरिनरी डॉक्टर हैं और डिस्पेंसरी भी। यहां अधिकतर वे ही गो वंश हैं, जो अनेक स्थानों पर हादसे में घायल होने के बाद यहां एंबुलेंस से इलाज के लिए लाए जाते हैं। हर माह यहां औसतन सौ गो वंश इस तरह के लाए जाते हैं। इनमें से तकरीबन 50 फीसद गोशाला आते-आते या इलाज के दौरान दम तोड़ देते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत मृत गो वंश को भू-समाधि देने की है। कभी यमुना किनारे तो कभी जंगलों में ले जाकर भू-समाधि दी जाती है। जहां भी यह काम किया जाता है, वहां के लोग विरोध करते हैं। ऐसे में उनके सामने यह सवाल उठता है कि आखिर भू-समाधि कहां दी जाए। इसके लिए जमीन न तो प्रशासन मुहैया करा रहा है, न ही नगर पालिका प्रशासन।

-मृत गोवंश को भू-समाधि देने के लिए सरकार द्वारा कहीं जमीन मुहैया न कराए जाने से कभी-कभी मन में बड़ी वेदना होती है। मन करता है गोशाला ही बंद कर दी जाए, लेकिन गोसेवा की आदत पड़ गई है। गोवंश की सेवा करनी ही करनी है। शासन-प्रशासन को इस कार्य के लिए शीघ्र जमीन मुहैया करानी चाहिए।

अमर नाथ ¨सगला, मैनेजर, गोशाला।

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