एक माह अधिक बरसेगा श्रीकृष्ण भक्ति का रस

जागरण संवाददाता,मथुरा : वैसे तो ब्रज में कृष्ण भक्ति का रस हमेशा ही बरसता है, लेकिन इस बार अधिक मास

By Edited By: Publish:Wed, 27 May 2015 12:01 AM (IST) Updated:Wed, 27 May 2015 12:01 AM (IST)
एक माह अधिक बरसेगा श्रीकृष्ण भक्ति का रस

जागरण संवाददाता,मथुरा : वैसे तो ब्रज में कृष्ण भक्ति का रस हमेशा ही बरसता है, लेकिन इस बार अधिक मास होने से श्रद्धा के लिए एक माह अधिक मिल रहा है। अधिक मास होने के कारण इस वर्ष सभी त्योहार देर से आएंगे। 17 जून से अधिक मास शुरू हो रहा है जो 16 जुलाई तक चलेगा। अधिक मास के कारण कई त्योहारों की तिथियों का गणित बदल जाएगा। जनवरी से मई तक जो त्योहार निकले हैं वह पिछले वर्ष की तुलना में दस दिन पहले ही आए हैं लेकिन जून से दिसंबर तक के जो भी त्योहार हैं वह दस से बीस दिन देरी से आएंगे। वर्ष 2012 में 18 अगस्त से 13 सितंबर तक दो भादों थे तो 2015 में दो अषाढ़ मास हैं। जबकि 2018 में 16 मई से 15 जून तक दो ज्येष्ठ होंगे। पंडित अमित भारद्वाज बताते हैं कि अधिक मास में पूजन, दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

अधिक मास में ब्रज में परिक्रमा करने को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। मंदिरों में भी धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहती है। इस महीने में भागवत कथा, विष्णु कथा, श्रीराम कथा आदि के आयोजन होते हैं।

वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, बलदेव, नंदगांव आदि में धार्मिक अनुष्ठान होंगे। इस मास में परिक्रमा तो दिन-रात लगेगी। पूरा कस्बा गिरिराज महाराज के जयकारों से गूंजेगा। मानव श्रृंखला गिरिराज महाराज की महिमा का वर्णन करेगी। अधिक मास के आगमन की मंदिरों और आश्रम में तैयारियां चल रही हैं।

सूर्य और पृथ्वी के परिवर्तन से बनती है स्थिति

सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश को संक्रांति कहा जाता है। जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती है तो अधिक मास होता है। आमतौर पर यह स्थिति हर तीसरे वर्ष बनती है। ऐसा सूर्य और पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन से तिथियों का समय घटने-बढ़ने के कारण होता है। इस वर्ष आषाढ़ तीन जून से 30 जुलाई तक रहेगा।

प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिक मास आता है। इस मास को अछूता न समझा जाए इसलिए मलमास को भगवान श्री हरि विष्णु ने उसे अपने नाम पुरुषोत्तम मास की संज्ञा दी।

बाजार भी होगा गुलजार

बाजार को भी इस माह का इंतजार है। ओलावृष्टि से सूने चल रहे बाजार ने गुलजार होने की तैयारी कर ली है। बाजार में ठाकुरजी के चायनीज हेट और पटुका वाली पोशाक आने लगी हैं। इसके अलावा अभी ठाकुरजी के श्रृंगार संबंधित आयटम भी जल्द आने की उम्मीद है।

भरे जा रहे भंडार

अब दुकानदारों ने ठाकुरजी की छवि, पोशाक, श्रृंगार का सामान, पलंग, मच्छरदानी आदि का भंडार करना शुरू कर दिया है। कारण है कि श्रद्धालुओं की संख्या ब्रज में मुड़िया पूर्णिमा से बढ़ती थी, लेकिन इस बार एक माह पहले ही ब्रज में आस्था का समुद्र उमड़ने लगेगा। अधिक मास ब्रज श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहता है।

ऐसे बदलेगी पर्वों की तारीख

त्योहार वर्ष 2014 वर्ष 2015

1 चातुर्मास आरंभ 8 जुलाई 27 जुलाई

2 रक्षाबंधन 10 अगस्त 29 अगस्त

3 जन्माष्टमी 18 अगस्त 5 सितंबर

4 गणेश चर्तुर्थी 29 अगस्त 17 सितंबर

5 शारदीय नवरात्र 25 सितंबर 13 अक्टूबर

6 दशहरा 3 अक्टूबर 22 अक्टूबर

7 शरद पूर्णिमा 8 अक्टूबर 27 अक्टूबर

8 दीपावली 23 अक्टूबर 11 नवंबर

9 भैरव अष्टमी 14 नवंबर 3 दिसंबर।

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