यहां हर सांस बाजार की मोहताज

मैनपुरी : शासन के 'सबका साथ, सबका विकास' दावे को आइना दिखा रहा है महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल। यहां इलाज को आने वाली हर एक सांस बाजार की मोहताज है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jun 2018 11:29 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jun 2018 11:29 PM (IST)
यहां हर सांस बाजार की मोहताज
यहां हर सांस बाजार की मोहताज

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : शासन के 'सबका साथ, सबका विकास' दावे को आइना दिखा रहा है महाराजा तेज ¨सह जिला अस्पताल। यहां इलाज को आने वाली हर एक सांस बाजार की मोहताज है। तीन महीनों से न जीवनरक्षक दवाएं हैं और न ही ड्रिप। अपने मरीज की ¨जदगी बचाने के लिए तीमारदारों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदकर इलाज कराना पड़ रहा है। बदतर होते हालातों से हर कोई वाकिफ है लेकिन न तो अब तक किसी जनप्रतिनिधि ने दवाओं के लिए पहल की है और न ही प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया है। बद से बदतर होते हालातों को भांप अब मरीजों ने भी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम का रुख शुरू कर दिया है। टीबी से जूझते राजू ने फैलाए हाथ

शहर से सटे संसारपुर में रहने वाले राजू (31) पुत्र रामप्रसाद टीबी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले राजू की रविवार की सुबह तबियत बिगड़ गई। खांसी के साथ बार-बार खून आया तो परिजन आनन-फानन में इमरजेंसी लेकर भागे। यहां चिकित्सकों ने उन्हें भर्ती तो कर लिया लेकिन इलाज के नाम पर आरएल (¨रगर लेक्टेट) और डीएनएस (डेक्सट्रोज नॉर्मल सेलाइन) का पर्चा थमा दिया। बाहर से बोतलें खरीदकर लाने के बाद ही उन्हें प्राथमिक उपचार दिया जा सका। बाद में उन्हें टीबी वार्ड में शिफ्ट करा दिया गया।

बरन कुमारी को भी मंगानी पड़ीं दवाएंगांव ब्योंतीखुर्द निवासी बरन कुमारी (60) पत्नी कोतवाल ¨सह को तेज बुखार के साथ घबराहट होने पर परिजनों ने जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भतर् कराया। चिकित्सकों ने टेबलेट तो दे दी लेकिन आरएल और डीएनएस की बोतलों के लिए पर्चा लिखकर पकड़ा दिया। परिजनों ने प्राइवेट दुकानों से दवाएं खरीदकर मरीज का उपचार कराया। देहदान करने वाले अधिवक्ता भी उपचार को मोहताजशहर के बंशीगौहरा निवासी कैलाश चंद्र यादव एड. (66) की रविवार की दोपहर अचानक तबियत बिगड़ गई। पुत्र अतुल और पत्नी ऊषा देवी आनन-फानन में उन्हें लेकर इमरजेंसी पहुंचे। चिकित्सकों ने उनका ब्लड प्रेशर जांच कर भर्ती किया और बाहर से दवाओं का पर्चा पकड़ा दिया। परिजनों ने 47 रुपये में आरएल और 32.17 रुपये में डीएनएस की बोतलें खरीदकर मरीज का उपचार कराया। थोड़ा होश आने पर बीमार अधिवक्ता ने व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाते हुए चिकित्सकों ने कहा कि सोचा भी न था कि देहदान करने वाले को भी दवाओं के लिए यूं परेशान होना पड़ेगा।

'हम सरकारी प्रक्रिया से बाहर जाकर दवाओं की खरीद नहीं कर सकते हैं। जेम पोर्टल से ही दवाओं की खरीददारी के आदेश हैं। लगातार मांगपत्र भी भेजे जा रहे हैं। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में भी है पूरा मामला है। लेकिन, अब तक तो राहत नहीं मिली है। जो भी दवाएं हमारे पास मौजूद हैं, उनसे ही उपचार कराते हैं।'डॉ. आरके सागरमुख्य चिकित्सा अधीक्षकजिला चिकित्सालय, मैनपुरी।

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