ये पानी मत पीओ, पेट में पथरी हो जाएगी

पानी हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है लेकिन जानकर हैरत होगी कि शहर का ज्यादातर पानी दूषित है। कहीं टीडीएस बढ़ा हुआ है तो किसी का पीएच मान ज्यादा है। स्वयंसेवी संस्था सारांश द्वारा शहर के 15 हजार घरों में कराए गए सर्वे में लगभग 30 फीसद घरों के पानी में अशुद्धियां मिली हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Sep 2018 11:45 PM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 11:45 PM (IST)
ये पानी मत पीओ, पेट में पथरी हो जाएगी
ये पानी मत पीओ, पेट में पथरी हो जाएगी

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : शहर में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के दावे को एक एनजीओ का सर्वे झुठला रहा है। घर-घर जाकर की जा रही पानी की जांच में टीडीएस (टोटल डिजॉल्वड सालिड्स) इतना ज्यादा बढ़ा हुआ है कि इसके पीने से शरीर में पथरी बनने की आशंकाएं बढ़ रही हैं।

लखनऊ की संस्था 'सारांश' के संचालक दीपक कुमार यादव का कहना है कि अभी शहर की कुछ कॉलोनियों के लगभग 15 हजार घरों के सैंपल जांचे गए हैं। जिसमें से लगभग 30 फीसद घरों के पानी में टीडीएस की मात्रा हद से ज्यादा बढ़ी मिली है।

इन इलाको में हुआ सर्वे

पंजाबी कॉलोनी, बंशी गोहरा, देवपुरा, हरिदर्शन नगर के बाद आवास विकास के सेक्टर एक। क्या होता है टीडीएस

टीडीएस (टोटल डिजाल्वड सालिड्स) में अकार्बनिक लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटेशियम, सोडियम, बाइकार्बोनेट, क्लोराइड और सल्फेट आदि पाए जाते हैं। यह पानी की कठोरता का मापक है। 100 से 150 मिलीग्राम प्रति लीटर टीडीएस सही

डब्ल्यूएचओ के मानकों के मुताबिक, 100 से 150 मिलीग्राम/लीटरलेवल के टीडीएस का पानी पीने योग्य होता है। 300 मिलीग्राम/लीटर टीडीएस से कम लेवल वाला पानी स्वाद में अच्छा होता है। एनजीओ द्वारा कराई जांच में कहीं-कहीं तो पानी का टीडीएस एक हजार तक मिला है। प्रदूषित पानी से हो रहे रोग

जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि पेयजल में टीडीएस की असंतुलित मात्रा पथरी की वजह बनती है। ऐसा पानी पीने से पित्त, गुर्दे अथवा यूरेटर (मूत्र वाहिनी) में पथरी बनने की आशंका बढ़ जाती है। अधिकारी कहिन

शहर का पानी दूषित नहीं है। हमारे मुताबिक तो एक हजार टीडीएस तक का पानी पूरी तरह से शुद्ध है। संस्था द्वारा जांच कराने की कोई जानकारी नहीं है।

ओमवीर दीक्षित, अधिशासी अभियंता, जल निगम

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