कोरोना दंश ने बढ़ाया पर्यावरण का महत्व

विश्व पर्यावरण दिवस शनिवार को है। युवा पर्यावरण का दायरा बढ़ाया है जिससे हरियाली में इजाफा होगा। आक्सीजन देने वाले और फलदार पौधों का अब रोपण किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 04:30 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 04:30 AM (IST)
कोरोना दंश ने बढ़ाया पर्यावरण का महत्व
कोरोना दंश ने बढ़ाया पर्यावरण का महत्व

जासं, मैनपुरी: कोरोना संक्रमण से हुई मौतों के बाद नागरिकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा हुई है। अब लोग पौधारोपण करने में रुचि दिखा रहे हैं। वह भी अधिक आक्सीजन वाले पौधे रोपे जा रहे हैं।

अब तक मनमानी बरत रहे नागरिक पर्यावरण के प्रति संजीदा होते नजर आ आ रहे हैं। कोरोना काल में आक्सीजन की कमी ने नागरिकों को हरियाली सहेजने को विवश कर दिया है। ज्यादा मात्रा में आक्सीजन देने वाले पौधों को रोपेने के प्रति दिलचस्पी भी बढ़ी है। सामाजिक संस्था और युवा पर्यावरण सहेजने में जुटे हैं। यही नतीजा है कि शहर में संचालित नर्सरी में पौधों की डिमांड बढ़ गई है। पीपल, बरगद, सहजन और स्नेक प्लांट के सांसेवियरिया पौधे अधिक बिक रहे हैं।

संत के अवतरण दिवस पर लगा रहे पौधे

26 जून को जैन मुनि तरुण सागर महाराज के 54वें अवतरण दिवस को जैन समाज खास अंदाज में मना रहा है। हरित क्रांति के रूप में मनाए जा रहे इस दिवस के लिए समाज के लोग शुक्रवार से पौधारोपण में जुट गए हैं। 54 दिन में 1008 पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया गया है। इस अभियान का जिम्मा संभालने वाले गौरव जैन बताते हैं कि इस बार मुनिश्री के अवतरण दिवस पर देशभर में 54 हजार पौधे रोपे जाएंगे। जिले में शुरूआत मीठे नींव का पौधा रोपने से हो चुकी है। आक्सीजन ज्यादा वाले पौधों को प्राथमिकता दी जा रही है, इसमें नागरिक सहयोग कर रहे हैं।

दो साल में रोपे पांच हजार पौधे

जिले के कई युवा मिलकर हरियाली सहेजने में जुटे हैं। अनमोल शाक्य, अनुराग राजपूत, नरेंद्र शाक्य और सोनू यादव, संजय वर्मा आदि युवा दो साल से इस काम को संरक्षण के साथ करने में जुटे हैं। अनमोल बताते हैं कि वह इसके लिए पौधे लगाने के लिए संबंधित स्थान और व्यक्ति से मिलते हैं। आम और कटहल के पौधे लगाने के लिए धन का इंतजाम वह मिलकर करते हैं। दो साल में अब तक पांच हजार पौधे रोपे गए हैं। सिर्फ आधा फीसद बढ़ा वन क्षेत्र

सालों से चल रहे सरकारी प्रयास के बाद जिले में केवल आधा फीसद ही वन क्षेत्र बढ़ सका है। बीते साल 30 लाख पौधे लगाए गए, जबकि इस बार यह लक्ष्य 35 हजार है।

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