मुश्किल में गोमाता और उसके संरक्षक, मौज में मुलाजिम

10 दिनों से बीमार गाय को संभाल रही बीमार शिक्षिका हालत देख अब छोड़ रहीं हिम्मत

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 11:29 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 06:10 AM (IST)
मुश्किल में गोमाता और उसके संरक्षक, मौज में मुलाजिम
मुश्किल में गोमाता और उसके संरक्षक, मौज में मुलाजिम

मैनपुरी, जासं। मैनपुरी में गोवंशों की स्थिति बेहद दयनीय है। सरकारी मुलाजिमों को जवाबदेही सौंपी गई है वे कागजों में आंकड़ों का खेल कर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। 10 दिनों से बीमार गाय की निजी खर्च पर सेवा कर रहीं शिक्षिका ने भी अब सरकारी तंत्र की लापरवाही के आगे उम्मीद छोड़ दी है। सूचना के बावजूद न तो पशु चिकित्सक पहुंचे और न ही पालिका प्रशासन ने संज्ञान लिया।

शहर के बिछिया रोड निवासी अरुणा तोमर पत्नी दीपक तोमर पेशे से शिक्षिका हैं। दो दिसंबर को एक बेसहारा गाय अचानक खडे़-खडे़ गिर गई थी। उन्होंने उसकी सेवा की। चौबीस घंटे बाद भी राहत न मिली तो तीन दिसंबर को पालिका प्रशासन को सूचना दी, लेकिन कोई नहीं आया। उन्होंने खुद ही गाय की सेवा का जिम्मा उठाया। विपरीत मौसम से बचाने को पॉलीथिन तानकर आसपास सुरक्षा घेरा बना ठंड से बचाव को अलाव जलवा दिया। चारा खरीदकर सुबह-शाम खिलाया।

उनका कहना है कि छह दिसंबर को भांवत चौराहा स्थित पशु चिकित्सालय पहुंचीं। सात को खुद को डॉक्टर बता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्यामपाल मौके पर पहुंचे और गाय को इंजेक्शन लगा लौट आए। उसके बाद न तो उन्होंने फोन उठाया और न ही गाय को अस्पताल ले जाने के प्रबंध कराए। शिक्षिका का कहना है कि सरकारी तंत्र बेपरवाह है। अब बिगड़ती स्थिति देखकर उन्होंने भी हिम्मत छोड़ दी है। महसूस कर रहीं गाय का दर्द:

नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाकर उनकी जिदगी संवारने की कोशिश कर रहीं अरुणा खुद कैंसर की लाइलाज बीमारी से जूझ रही हैं। उनका कहना है कि वे दर्द को समझती हैं। इसीलिए बीमार गाय की देखरेख कर रही हैं। अब तक लगभग पांच से सात हजार रुपये गाय के इलाज में खर्च कर चुकी हैं। गोशाला में ठिठुर रहे गोवंश:

ट्रांसपोर्ट नगर स्थित कान्हां पशु आश्रय में जिस कमरे में गोवंशों को रखा गया है, उसमें जंगलों पर हवा रोकने के कोई प्रबंध नहीं है। शुक्रवार को सर्द हवा गोवंशों को ठिठोर रही थीं। पूरे शहर में सैकड़ों बेसहारा गोवंश:

भले ही पालिका प्रशासन गोवंशों को पकड़ने का दावा कर रहा है, लेकिन पूरे शहर में सैकड़ों की संख्या में बेसहारा गोवंश घूम रहे हैं। सबसे ज्यादा नंदी की संख्या है। ये नंदी आए दिन आक्रामक होते हैं। सड़कों व कॉलोनियों में इनकी लड़ाई के कारण आए दिन लोग चोटिल होते हैं और सामग्री का नुकसान होता है।

मैडम के बुलाने पर एक दिन मैं गया था और गाय को इंजेक्शन दिया था। बाद में फोन किए होंगे। मैं छुट्टी पर था। अब हर फोन तो उठा नहीं सकते। अगर, मैडम को ज्यादा ही समस्या हो रही है तो वे खुद भी गाय को हमारे अस्पताल पहुंचा सकती हैं।

श्यामपाल, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। मुझे कोई सूचना नहीं दी गई। यह मेरे कर्मचारी की गल्ती है जो उसने भी इसकी जानकारी नहीं दी। अब जानकारी मिली है तो गाय को अस्पताल लाकर इलाज कराएंगे। गाय की विशेष देखभाल की जाएगी।

डॉ. डीएस तोमर, चिकित्सा अधिकारी, भांवत चौराहा पशु चिकित्सालय। हम काम तो कर ही रहे हैं। लोगों को भी तो सहयोग करना चाहिए। बीमार गाय के उपचार के लिए पशु चिकित्सक को कह दिया गया है। वे मौके पर पहुंचकर गाय की जांच करेंगे और उपचार देंगे।

डॉ. यादवेंद्र सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

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