चमका मिट्टी के बर्तन का रोजगार

मैनपुरी : प्लास्टिक के बर्तनों पर प्रतिबंध लगने के बाद मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के चेह

By Edited By: Publish:Tue, 09 Feb 2016 07:54 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2016 07:54 PM (IST)
चमका मिट्टी के बर्तन का रोजगार

मैनपुरी : प्लास्टिक के बर्तनों पर प्रतिबंध लगने के बाद मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के चेहरे चमकने लगे हैं। दावतों में प्रयोग होने वाले मिट्टी के बर्तन प्लास्टिक के चलन के बाद लुप्त होते जा रहे थे। लेकिन अचानक प्लास्टिक के प्रचलन पर रोक लगते ही मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ गई है। जिससे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले उद्योग को ताकत मिली है।

दावतों और व्यावसायिक दुकानों पर प्रयोग होने वाले मिट्टी के ग्लास, सकोरा, कुल्हड़ और दही जमाने वाले बड़े मिट्टी के कटोरे घरों से पूरी तरह गायब हो गए थे। हर जगह प्लास्टिक के बर्तन ही नजर आते थे। मिट्टी के बर्तन भले ही प्लास्टिक से महंगे पड़ते हैं लेकिन उनके प्रयोग से स्वाद अलग ही हो जाता है।

सकोरा 120 रुपये प्रति सैकड़ा, जबकि ग्लास 75 रुपये सैकड़ा मिलते हैं। यही ग्लास प्लास्टिक के खरीदने पर 25 रुपये सैकड़ा मिलते हैं। जबकि सकोरा 80 रुपये सैकड़ा बिक रहा है। प्लास्टिक के प्रतिबंध के बाद मिट्टी के बर्तनों की अचानक मांग बढ़ गई है। होटलों पर लस्सी और चाय के लिए छोटे-बड़े ग्लासों की मांग बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग होने वाले मिट्टी के सकोरे भी बिकने शुरू हो गए हैं।

नगला पजाबा स्थित मिट्टी के बर्तन बनाने वाले ओमप्रकाश प्रजापति ने बताया कि अचानक मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है। मेरे कारखाने में तीन आदमी काम करते थे, मांग बढ़ने पर दो कारीगरों को और बढ़ा दिया है। ताकि मिट्टी बर्तनों की मांग बढ़ने पर ऑर्डर पूरा किया जा सके। उम्मीद ये है गर्मी का मौसम शुरू होने तक कारोबार दोगुना बढ़ सकता है।

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