कोरोना काल में बच गया रावण, नहीं होगा दहन
जागरण संवाददाता महोबा कोरोना काल ने उद्योग धंधों के साथ मेला सहित अन्य सांस्कृतिक आयोजन प
जागरण संवाददाता, महोबा : कोरोना काल ने उद्योग धंधों के साथ मेला सहित अन्य सांस्कृतिक आयोजन पर भी असर डाला है। अब इसका असर दशहरा मेला में भी दिख रहा है। शहर में होने वाली रामलीला का आयोजन इस बार नहीं हो रहा है। साथ ही डाक बंगला में रावण दहन का आयोजन भी इस बार कोरोना के कारण नहीं हो रहा है। उसके स्थान पर समिति ने कुछ दिन पहले मंच पर हवन का कार्यक्रम किया था। मैदान में धूप आदि सुलगाई गई थी।
शहर के डाक बंगला में होने वाली रामलीला मंच पर नहीं बल्कि अभी तक पर्दे पर ही दिखाई जाती रही है। इस बार कोरोना के कारण इसका आयोजन नहीं हो रहा है। शहर में दो स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता रहा है। डाक बंगला के पास आयोजित रामलीला दस दिन चलती थी। इसके बाद दशहरा के दिन यहां स्थायी तौर पर पहले से बनाए गए लोहे की पत्ती, सरिया से निर्मित रावण को जलाया जाता था। पहले यहां रावण का पुतला तैयार होता था लेकिन साहित्य परिषद की ओर से 1995 में यहां करीब पचास फीट ऊंचा लोहे की पत्ती का स्थायी तौर पर रावण का पुतला बना दिया गया था। हर साल दशहरा के दस दिन पहले ही इसको रंगीन पन्नी और अन्य तरीके से सजा कर तैयार किया जाता था। इसकी तैयारी रामलीला समिति महोबा की ओर से की जाती थी। इस साल डाक बंगला मैदान सूना पड़ा है और वहां रावण का पुतला सीना ताने शायद यही कह रहा है कि कोरोना काल में उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। साहित्य परिषद के अध्यक्ष रमेश जैदका कहते हैं कि परिषद की रामलीला कमेटी इसका पूरा आयोजन देखती है। इसमें सभी समुदाय के करीब ढाई सौ सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि इस बार कोरोना काल के कारण रावण दहन का आयोजन नहीं हो रहा है। उसके स्थान पर समिति की ओर से कुछ दिन पहले रामलीला मंच पर हवन हुआ था। साथ ही पूरे मैदान को धूप सुलगाई गई थी।