घर छोड़ने को मजबूर चपका के ग्रामीण

जागरण संवाददाता, महोबा : पनवाड़ी विकासखंड में एक हजार की आबादी वाले गांव चपका में आजादी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Sep 2018 11:19 PM (IST) Updated:Thu, 06 Sep 2018 11:19 PM (IST)
घर छोड़ने को मजबूर चपका के ग्रामीण
घर छोड़ने को मजबूर चपका के ग्रामीण

जागरण संवाददाता, महोबा : पनवाड़ी विकासखंड में एक हजार की आबादी वाले गांव चपका में आजादी से अब तक लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं। गांव पहुंचने के लिए पक्का मार्ग तो दूर कोई खड़ंजा भी नहीं है। पेयजल के लिए एक भी हैंडपंप नहीं है। बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांव तक एंबुलेंस न पहुंच पाने से मंगलवार रात एक महिला की मौत हो गई। अब मेहनत मजदूरी करने वाले लोग गांव छोड़कर दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में पलायन कर रहे हैं।

विकास की पहली सीढ़ी सड़क मानी जाती है। ग्राम पंचायत दादरी में सातर और चपका गांव हैं। दादरी से 7 किमी की दूरी पर बसे चपका गांव के लोगों को ब्लाक पहुंचने के लिए कुलपहाड़ से 40 किमी चलना पड़ता है। 25 किमी की सीधी दूरी में रास्ता न होने से इतना घूमकर जाना मजबूरी है। रास्ते में पड़ने वाले बिहार गांव से चपका के बीच का कच्चा रास्ता चलने लायक नहीं बचा है। गांव के अंदर चार गलियों में बिछे खड़ंजे गंदगी से पटे हैं। बरसात में गांव से बाहर निकलना दुश्वार हो जाता है। मंगलवार रात शिवसहाय की पत्नी शांति की उल्टी दस्त से हालत बिगड़ गई। गांव तक एंबुलेंस न पहुंचने से उपचार के अभाव में उनकी मौत हो गई। पेयजल के लिए एक भी हैंडपंप नहीं हैं। दो पुराने कुएं लोगों की प्यास बुझा रहे हैं। प्रधान, ब्लाक और विधायक निधि से गांव में सबमर्सिबल पंप लगा प्लास्टिक की तीन टंकियां जरूर रखी गई हैं।

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अब तक पलायन कर चुके लोग

चपका निवासी राजा भैया इंदौर, नरेश व्यास दिल्ली, महेंद्र व्यास दिल्ली, अखिलेश व्यास दिल्ली, प्रदीप व्यास गुजरात, राम रतन ग्वालियर, पुष्पेंद्र व्यास गुजरात, दिनेश व्यास दिल्ली व जितेंद्र व्यास मजदूरी करने दिल्ली चले गए।

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पंचायत निधि से पक्का काम नहीं हो सकता। दादरी और चपका के बीच कई बार मौरंग डलवा कर रास्ता ठीक कराया, पर बरसात में बह जाता है। बिहार और चपका के बीच तीन किलोमीटर सड़क बनवाने के लिए तीन बार सीडीओ को प्रस्ताव दे चुका हूं। दो विकास खंड की सीमा होने से स्वीकृत नहीं हो पा रहा है।

-नरेश गुप्ता, प्रधान दादरी

इस समस्या की जानकारी नहीं थी। अगर ऐसे हालात हैं तो बिहार और चपका दोनों गांवों के प्रधानों और बीडीओ को बैठा कर बिहार चपका के बीच छोटी लंबाई की सड़क आसानी से बनवाई जा सकती है। जल्दी ही इस पर काम करेंगे।

दिग्विजय नाथ पांडेय, जिला विकास अधिकारी

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