पानी से लेकर जमीन तक नीलाम

जागरण संवाददाता, महोबा: तालाबों की जमीन ही नहीं उसका पानी भी नीलाम कर दिया गया। लिखापढ़ी करने के ना

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jun 2017 01:00 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jun 2017 01:00 AM (IST)
पानी से लेकर जमीन तक नीलाम
पानी से लेकर जमीन तक नीलाम

जागरण संवाददाता, महोबा: तालाबों की जमीन ही नहीं उसका पानी भी नीलाम कर दिया गया। लिखापढ़ी करने के नाम पर नक्शे में भी हेराफेरी की गई। अपनों को लाभ दिलाने के लिए सरकारी नियमों को लेखपालों ने ताक पर रख दिया। महोबा शहर के तालाबों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। विशाल सरोवरों में जैसे ही पानी कम होता है उसकी जमीन पर कब्जे शुरु हो जाते हैं। साल दर साल तालाब में अवैध कब्जों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

बुंदेलखंड में पानी की समस्या हर क्षेत्र में है लेकिन महोबा में यह समस्या स्वयं की बनाई हुई है। साथ ही माफियाओं की देन अधिक है। यहां चंदेलकालीन विशाल सागर के आकर के तालाब पानी की कमी पूरी करने के लिए पर्याप्त हैं। एक बार पानी भर जाने पर एक तालाब पूरे सालभर नहीं सूख सकते। पर ऐसा हो नहीं सकता कारण कि तालाब में पानी ही नहीं जमीन तक नीलाम हो रही है। उसकी रक्षा की दुहाई देने वाले प्रशासनिक अधिकारी ही उन्हें बढ़ावा दे रहे हैं। शहर में कोई भी ऐसा तालाब नहीं है जिसकी जमीन पर भू-माफिया काबिज नहीं हैं। अधिकारी उन्हें हटाने का फरमान तो जारी करते हैं लेकिन उनके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। महोबा में सबसे विशाल तालाब कीरत सागर है। पुराने नक्शे को उठाकर देखा जाए तो एक नहीं तीन सैकड़ा मकान पानी में हैं। लोगों ने जैसे ही मौका देखा तालाब की जमीन पर कब्जा कर मकान खड़े कर लिए। पिछले साल कीरत सागर के पानी को कुछ किसानों ने नहर काट कर खेतों की ओर कर दिया था। बाद में नहर का पानी शहर के कई मोहल्लों में भी घुस गया था। इसमें एक दर्जन किसानों पर मुकदमा भी हुआ था।

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कहां गए पुराने नक्शे

शहर में तालाबों के पुराने नक्शे ही गायब कर दिए गए। इसमें सबसे बड़ी भूमिका तहसील अधिकारी और कर्मचारियों की है। अपनों को लाभ दिलाने के लिए नक्शे ही गायब कर दिए और नए सिरे से पैमाइश कर दी। यह हाल एक नहीं बल्कि सभी तालाबों के साथ हुआ है।

इंसेट) क्यों डर रहा प्रशासन

प्रशासन अवैध कब्जेदारों को हटाने में न जाने क्यों पीछे हट रहा है। कई माफिया तो ऐसे हैं जो तालाब की जमीन पर मकान ही नहीं स्कूल आदि भी बनाए हुए हैं। इन पर कार्रवाई के बजाय प्रशासन केवल कागजी खानापूरी कर रहा है।

इंसेट) लुप्त हो जाएंगे तालाब

जिस कदर आबादी तालाबों की ओर बढ़ रही है उससे तो लगता है कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब तालाब पूरी तरह से भर दिए जाएंगे। यहां पानी के स्थान पर केवल मकान ही नजर आएंगे।

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