कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

महोबा, जागरण संवाददाता : कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हम

By Edited By: Publish:Sat, 04 Jul 2015 06:57 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2015 06:57 PM (IST)
कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

महोबा, जागरण संवाददाता : कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हमारा। जहां एक ओर मजहब के नाम पर नफरत की तपिश दिख रही है, वहीं बुंदेली धरा में आपसी सौहार्द के फूल खिल रहे है। सदियों से चली आ रही आल्हा ऊदल और ताला सैयद के भाईचारे की परंपरा आज भी बुंदेलों के जेहन में जीवंत है। यही वजह है कि एक माह में दूसरी बार इस धरा में साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की गई, लेकिन भाईचारे के धनी बुंदेलों ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।

कुलपहाड़ कस्बे में शनिवार को गोवंश की हत्या के बाद कुछ लोगों ने इसे साम्प्रदायिकता का रंग देना चाहा लेकिन अराजक तत्वों के मंसूबों को भांप लोगों ने अपना आपसी सौहार्द कायम रखा। यह पहला मामला नहीं, अभी लगभग एक माह के अंदर ही मुख्यालय के बड़ी चंद्रिका मंदिर में चल रही रामकथा के दौरान आरटीओ आफिस के पास साउंड में पत्थर फेंकने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। इसे भी लोगों ने धार्मिक उन्माद का रूप दिया था, पर सौहार्द कायम रखे लोगों की वजह से यह मंसूबा भी फेल हो गया। यह वहीं बुंदेली धरा है जहां कभी चंदेल शासन काल में आल्हा ऊदल व उनके सैन्य प्रशिक्षक चाचा ताला सैयद का आपसी सौहार्द एक मिसाल था। यह वहीं धरती है जहां हाजी मुट्टन चच्चा के साथ हिंदू समुदाय के तारा पाटकर, अजय बरसैया सहित सभी धर्मो के लोग रमजान के पवित्र माह में रोजा रखकर बीमार जिंदगियों को संजीवनी देने को एम्स स्थापना के लिए दुआ मांग रहे है। वह कहते है कि भले ही हर ओर नफरत की आग क्यों न जल रही हो पर उनके दिलों में सौहार्द के फूल हमेशा खिलते रहेंगे। सुगिरा गांव की रोशनी व शान मुहम्मद अल्लाह की इबादत के बाद नवरात्र में मां की आरती में शिरकत कर व्रत रखते है। बुंदेलों का यह आपसी प्रेम देख जुबां से निकल रही पड़ता है कि कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..।

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