सहजन के पेड़ के सहारे जंग लड़ रही उप्र की बड़ी आबादी, दे रहे स्वस्थ समाज का संदेश

महराजगंज जिले के 33 गांवों के घर-घर में लगे सहजन के पेड़ दे रहे स्वस्थ समाज का संदेश।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 27 Jul 2019 10:53 AM (IST) Updated:Sat, 27 Jul 2019 10:53 AM (IST)
सहजन के पेड़ के सहारे जंग लड़ रही उप्र की बड़ी आबादी, दे रहे स्वस्थ समाज का संदेश
सहजन के पेड़ के सहारे जंग लड़ रही उप्र की बड़ी आबादी, दे रहे स्वस्थ समाज का संदेश

विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज। सरकारी महकमा जब राहत नहीं दे सका, कागजी खानापूरी से अलग कुछ नहीं कर सका तो महराजगंज, उप्र के तीन ब्लॉकों फरेंदा, बृजमनगंज और धानी की महिलाओं ने आगे बढ़कर कुपोषण और रक्ताल्पता (एनीमिया) से लड़ने की कमान खुद संभाल ली। औषधीय गुण वाले सहजन के पेड़ को इस लड़ाई में हथियार बनाया। उसका नतीजा भी मिला है।

इन ब्लॉकों के 33 गांव आज पूरे जिले को स्वस्थ समाज का संदेश दे रहे हैं। नर्सरी तैयार करने और सहजन को भोजन में शामिल करने की जिम्मेदारी महिलाओं ने संभाल रखी है। पुरुषों के जिम्मे पौधों की रोपाई और देखभाल का कार्य है। करमहा गांव की कमलावती ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व अचानक तबीयत खराब हुई। शरीर कमजोर होने पर डॉक्टर से जांच कराई तो उन्होंने खून की कमी बताकर पोषक तत्वों को खाने की सलाह दी। सहजन का नियमित सेवन शुरू किया तो स्वास्थ्य में सुधार हुआ। बरगदवा गांव की सुमित्रा देवी की भी यही राय है। बताती हैं कि जब से सहजन का प्रयोग शुरू किया तो बड़ी राहत मिली। रंगपुर की शकुंतला व नंदिनी ने कहा कि उनके परिवार के सभी सदस्य सहजन का नियमित प्रयोग करते हैं। बच्चों में वजन कम होने पर डॉक्टरों ने खाने में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी थी। अमल किया तो फायदा हुआ।

क्षेत्र के बैसार, हरिहरपुर, खुर्रमपुर, गुलरिया, बख्तावरपुर और मोहनापुर में महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह का गठन कर सहजन की नर्सरी तैयार की। आज इन नर्सरियों से ग्रामीण महज पांच रुपये में सहजन का पौधा लेकर अपने घर-आंगन में लगा रहे हैं। इससे जहां महिलाओं को आय हो रही है, वहीं उनके स्वास्थ्य में भी सुधार हो रहा है। सहजन की नर्सरी का संचालन करने वाली उर्मिला देवी, अलीमुननिशा, मीना, कमलावती व बचगंगपुर के डेबा ने कहा कि यह पौधा स्वस्थ समाज का वाहक बना है।

फल, फूल, पत्तियों का सेवन...

ग्रामीण घर के आसपास सहजन के पौधे लगाकर उसके फल, फूल, पत्तियों का सेवन कर रहे हैं। गुदरीपुर निवासी दिनेश मौर्य ने बताया कि कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से मुक्ति के लिए ग्रामीण सब्जी के रूप में इसका प्रयोग करते हैं। सहजन की पत्तियों का चूर्ण बनाकर उपयोग में लाया जाता है। रोटी बनाते समय आटा में डालकर, सब्जी में मसाले के रूप में व कढ़ी में डालकर भी इसका प्रयोग होता है। प्रयास रहता है कि वर्ष भर उसके फल, फूल व पत्तियों का नियमित रूप से सेवन करें। इसमें आयरन के अलावा अन्य पोषक तत्व मौजूद होते है।

ढ़ साल पहले महराजगंज में 52 हजार हजार बच्चे और महिलाएं कुपोषण का शिकार थे। इनमें 14 हजार 346 बच्चे अतिकुपोषित थे। पीड़ितों में खून की कमी की समस्या सर्वाधिक थी। जिससे इनका वजन काफी कम था। अब यह आंकड़ा घटकर 32 हजार 217 आ गया है, जबकि अतिकुपोषित बच्चे महज चार हजार रह गए हैं। पूरे जिले में इन 33 गांवों की स्थिति सबसे बेहतर है। इसमें यहां की महिलाओं की भूमिका अहम है। 

-बृजेंद्र जायसवाल, जिला कार्यक्रम अधिकारी

सहजन गुणों की खान है। सहजन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। 100 ग्राम सहजन की पत्तियों में दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्शियम मिलता है। सहजन की पत्तियों में कैल्शियम व विटामिन सी के साथ ही प्रोटीन, पोटैशियम, आयरन और विटामिन बी की मात्रा अधिक होती है। कुपोषण व रक्ताल्पता के साथ ही सहजन उच्च रक्तचाप, मोटापा घटाने, त्वचा को दुरुस्त रखने और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। एक पेड़ से वर्ष भर में 20-30 किलो फल प्राप्त होता है।

-डॉ. आरबी राम

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल, महराजगंज, उप्र

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