बाल मजदूरी पर रोक लगाने में असफल साबित हो रहा है प्रशासन
महराजगंज: घुघली उपनगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के जलपान की दुकानों छोटे-मोटे उद्योग-धंधे में नियम
महराजगंज: घुघली उपनगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के जलपान की दुकानों छोटे-मोटे उद्योग-धंधे में नियम और कानून को ताक पर रखकर बाल श्रमिकों से मजदूरी कराई जा रही है। दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में ये बाल मजदूर अपने भविष्य को नहीं सवार पा रहे हैं। उनकी लाचारी का दुकानदारों एवं मालिकों द्वारा जम कर फायदा उठाया जा रहा है। हालांकि इस बात की जानकारी प्रशासन एवं विभागीय अधिकारियों को भी है ,लेकिन बाल मजदूरी को रोकने में न जाने किन परिस्थितियों में अपने को अक्षम पा रहे हैं। प्रशासन एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पाने से स्थिति और भयावह होती जा रही है। जहां इन बच्चों को मां बाप के प्यार के साए में विद्यालय में पठन-पाठन करना कर अपने भविष्य को संवारने की जरूरत है। वहां ये बच्चे अपने पेट की आग बुझाने में भविष्य चौपट करने के लिए विवश हैं। बाल मजदूरी की स्थिति का जायजा लेना हो घुघली उपनगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से लिया जा सकता है। जागरुक लोगों का कहना है कि अगर विभाग द्वारा निरंतर अभियान के तहत बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में कारगर कदम उठाया जाता तो आज स्थिति इतनी भयावह नहीं होती। लोगों का कहना है कि बाल श्रम उन्मूलन जितना जरूरी है उसके अधिक जरूरी है कि इस कार्य में लगे बच्चे बच्चों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकारी स्तर पर उन्हें विद्यालयों में दाखिला के साथ जीवन यापन करने के लिए विशेष व्यवस्था किया जाना होगा, क्योंकि बाल मजदूरी में लगे बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब होती है कि मजबूरन अपना और अपने परिजनों का पेट पालने के लिए उन्हें छोटी सी उम्र में चाय की दुकानों पर झूठे बर्तन धोनी से लेकर तमाम कार्य करना पड़ता है।