सूख गए ताल तलैया, पशु पक्षी बेहाल

महराजगंज: भीषण गर्मी के चलते अप्रैल के मौसम में ही जिले के अधिकांश ताल तलैया, जलाशय व पोखरे सूख गये

By Edited By: Publish:Fri, 29 Apr 2016 11:19 PM (IST) Updated:Fri, 29 Apr 2016 11:19 PM (IST)
सूख गए ताल तलैया, पशु पक्षी बेहाल

महराजगंज: भीषण गर्मी के चलते अप्रैल के मौसम में ही जिले के अधिकांश ताल तलैया, जलाशय व पोखरे सूख गये हैं। जिससे पानी का गंभीर संकट उत्पन्न होने लगा है। इससे जहां आम नागरिक परेशान हैं, वहीं पशु पक्षी भी अपनी प्यास बुझाने के लिए बेहाल हैं। जिले में 5347 ताल तलैया पोखरे हैं। लेकिन चालीस फीसद पोखरी अतिक्रमण की चपेट में है। आधा से अधिक तालाबों की गोद सूखी है। गांव में विचरण कर रहे पशु पक्षी बूंद बूंद पानी के लिए परेशान हैं। इन तालाबों के समक्ष अनेक धार्मिक कार्यक्रम भी होते हैं। लेकिन पानी की समस्या से लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है। वर्तमान में आगजनी की घटनाएं भी हो रही हैं। पर, पोखरों में पानी नहीं होने से दमकल को भी पानी के लिए परेशान होना पड़ा रहा है। ताल तलैया सूखने से गन्ना, मेंथा सहित जायद की फसलों की ¨सचाई भी प्रभावित हो रही है। लेकिन इसमें पानी भरवाने के लिए प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैँ।

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हकीकत बयां कर रहीं कोहड़वल की पोखरियां

- ग्राम कोहड़वल स्थित डिबनी पोखरी का पिछले तीन चार वर्षो पूर्व सुंदरीकरण कराया गया, लेकिन दो माह पूर्व ही सूख चुकी हैं।

- ग्राम रौतार में पोखरियों का सुंदरीकरण कर घाट बनवाया गया, लेकिन नेटुअहिया पोखरी के सूखे कई माह हो चुके है।

-ग्राम बरवा कला में बौली पोखरी को छोड़ मटखन्ना चमैइनिया आदि कई पोखरियां अर्सा पूर्व सूख चुकी हैं।

- सेमरी, जयश्री, मेघौली, बहुआर, ओड़वलिया, बढैयपुरवा, धमउर, रेंगहिया, कनमिसवां, अमहवा, लालपुर, पड़री कला, कैमा कैमी, पोखरमिन्डा आदि दर्जनों पोखरियों सूख गये।

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वन्य क्षेत्र में बजट का इंतजार

निचलौल: वन्य क्षेत्र में स्थित जलाशय व गड्ढों के पानी गर्मी का मौसम आते आते सूख गये हैं। जिसके कारण पशुओं एवं वन्य जीवों को पानी पीने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। इस संबंध में रेंजर निचलौल अशोक चन्द्रा ने कहा कि यह सच है कि वन्य क्षेत्र में ताल तलैया व गड्ढे सूख गये हैं और पशु पक्षी पानी की तलाश में भटक कर दूर चले जाते हैं। लेकिन उत्तरी निचलौल बीट के कंपार्टमेंट नंबर 3 में एक बो¨रग कराई गई है। समीप में तीन कच्चे वाटर होल हैं, जिसमें एक में पानी भर दिया गया है। क्षेत्र के अन्य बीट में जल प्रबंधन के लिए शासन से बजट की मांग की गई हैं, बजट प्राप्त होते ही समुचित उपाय किये जायेंगे।

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सभी को समझना होगा बूंद-बूंद पानी की कीमत

जवाहर लाल नेहरू स्मारक पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के प्राचार्य आरके मिश्र कहते हैं कि सभी को बूंद-बूंद पानी की कीमत समझनी ही होगी। पानी नहीं बचेगा तो जीवन का विनाश तय है। शहर में लोग पानी का उपयोग कम व दुरुपयोग ज्यादा कर रहे हैं।

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जल संरक्षण आवश्यक

इस्लामिया इंटर कालेज हरपुर तिवारी के प्रधानाध्यापक अफलाक अहमद कहते हैं कि शासन-प्रशासन संग हर नागरिक का दायित्व है कि वह जल संरक्षण का प्रयास करे। पानी की बर्बादी तो हर कोई रोक सकता है। टुल्लू पंप का उपयोग करें पर पानी को बर्बाद न होने दे। जलस्तर गिरने से साधारण ही नहीं सरकारी हैंड पंप भी अब कम पानी देने लगे हैं। इसलिए जल को बर्बाद होने से बचाना जरूरी है।

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