मृत शिक्षकों के आश्रितों को क्लर्क बना सकती योगी सरकार, साढ़े आठ हजार परिवारों को मिलेगा लाभ

यूपी सरकार में योग्यता के अनुसार शिक्षकों के आश्रितों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया 20 माह से चल रही है। जल्द ही शासनादेश भी जारी होने की उम्मीद है। इसका लाभ पहले से कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ कोरोना संक्रमण में मृत शिक्षकों के आश्रितों को भी मिल सकेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 22 May 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 22 May 2021 07:01 AM (IST)
मृत शिक्षकों के आश्रितों को क्लर्क बना सकती योगी सरकार, साढ़े आठ हजार परिवारों को मिलेगा लाभ
योगी सरकार पंचायत चुनाव ड्यूटी में मृत शिक्षकों के आश्रितों को क्लर्क बना सकती है।

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। उत्तर प्रदेश में सपा शासन में मंत्री रहे अहमद हसन का वर्ष 2016 में यह बयान खूब चर्चित हुआ था कि 'शिक्षक का बेटा पानी नहीं पिलाएगा।' इसी उद्देश्य से मृत शिक्षकों के आश्रितों को लिपिक बनाने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रस्ताव भेजा लेकिन, अमल नहीं हुआ। लिहाजा वर्ष 2018 तक प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 13,193 मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो गए। इनमें ऐसे आश्रितों की संख्या सबसे अधिक है, जो इंटर, स्नातक और भी अधिक योग्यता रखते हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में योग्यता के अनुसार शिक्षकों के आश्रितों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया 20 माह से चल रही है। अब जल्द ही शासनादेश भी जारी होने की उम्मीद है। इसका लाभ पहले से कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ ही कोरोना संक्रमण में मृत शिक्षकों के आश्रितों को भी मिल सकेगा। यानी मृत शिक्षकों के आश्रितों में योग्यता रखने वालों को शिक्षक, स्नातक व इंटरमीडिएट उत्तीर्ण को लिपिक बनाया जा सकता है।

बेसिक शिक्षा परिषद में वर्ष 1997 के पहले किसी भी शिक्षक या शिक्षणेतर कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को इंटर की योग्यता पर अध्यापक पद पर नियुक्ति मिलती थी। उससे कम पढ़े लोग अनुचर पद पर नियुक्त होते थे, वर्ष 1997 के बाद अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए आश्रित का स्नातक होना जरूरी था। 26 जुलाई, 2011 को प्रदेश में शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू हुआ और मृतक आश्रितों के लिए शिक्षक बनने की योग्यता स्नातक के साथ बीटीसी और टीईटी कर दी गई।

एनसीटीई ने बीएड अभ्यर्थियों को प्राइमरी भर्ती के लिए अर्ह माना, तब परिषद सचिव ने 10 अक्टूबर, 2019 को बीएड किए हुए प्राथमिक टीईटी पास मृतक आश्रितों को शिक्षक पद पर नियुक्ति देने का आदेश दिया। इसके सिवा आश्रित के पास कोई भी योग्यता हो। मसलन परास्नातक, बीएससी एमएससी, बीबीए, एमबीए, एमसीए पीएचडी आदि में भी मृतक आश्रित को केवल अनुचर पद पर नियुक्ति मिली। वर्ष 2018 तक आश्रितों की संख्या 13,193 हो गई। इनमें 5944 हाईस्कूल, 2756 इंटर व 4226 स्नातक और उससे अधिक योग्यता रखते हैं।

नौ सितंबर, 2019 को बेसिक शिक्षा की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार, विशेष सचिव आनंद कुमार सिंह, कार्मिक के संयुक्त सचिव कुमार राघवेंद्र सिंह, वित्त विभाग के अनु सचिव अजय प्रताप सिंह, निदेशक बेसिक शिक्षा डॉ. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह, परिषद सचिव रूबी सिंह आदि की बैठक हुई। इसमें मृतक आश्रितों को योग्यता के अनुरूप नियुक्ति दिलाने के लिए सभी की जिम्मेदारी तय हुई। प्रक्रिया 20 माह से चल रही है। वित्त व कार्मिक से निरंतर पत्राचार हुआ है और जल्द ही शासनादेश जारी होने की उम्मीद है।

शिक्षक संघ भी कर रहा मांग : उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री को लिखा है कि कोरोना महामारी में मृत शिक्षकों के आश्रितों में योग्यता रखने वालों को शिक्षक, स्नातक व इंटरमीडिएट उत्तीर्ण को लिपिक बनाया जाए।

अंतिम चरण में प्रक्रिया : प्राथमिक मृतक आश्रित कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जुबेर अहमद का कहना है कि मृत शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों के आश्रितों को लिपिक पद पर नियुक्ति का शासनादेश अंतिम चरण में है।

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