Vikas Dubey Encounter : पुलिस के पक्ष में खड़े हुए दो पूर्व डीजीपी, सुप्रीम कोर्ट से भी की अपील

कानपुर कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे को पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर एक ओर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं तो दूसरी ओर दो पूर्व डीजीपी पुलिस के पक्ष में खड़े हो गए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 18 Jul 2020 12:22 AM (IST) Updated:Sat, 18 Jul 2020 06:09 AM (IST)
Vikas Dubey Encounter : पुलिस के पक्ष में खड़े हुए दो पूर्व डीजीपी, सुप्रीम कोर्ट से भी की अपील
Vikas Dubey Encounter : पुलिस के पक्ष में खड़े हुए दो पूर्व डीजीपी, सुप्रीम कोर्ट से भी की अपील

लखनऊ, जेएनएन। कानपुर कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे को उज्जैन से लाए जाने के दौरान पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर एक ओर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं तो दूसरी ओर दो पूर्व डीजीपी पुलिस के पक्ष में खड़े हो गए हैं। सोशल मीडिया पर पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन व विक्रम सिंह के वीडियो वायरल हुए हैं। इनका कहना है कि विकास दुबे व उसके गिरोह का दमन बहुत आवश्यक था। पुलिसकर्मियों के भी मानवाधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।

पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन वीडियो के जरिए सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में ऐसा निर्णय लेने की अपील करते नजर आ रहे हैं, जिससे यूपी पुलिस का मनोबल न टूटे। वह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा कोई निर्णय न दें, जिससे पूरे यूपी पुलिस बल का मनोबल टूट जाए। कानपुर कांड से पुलिस बल को बड़ा आघात पहुंचा है। वह कहते हैं कि उन्होंने 36 साल यूपी पुलिस की सेवा की है, लेकिन पूरे सेवाकाल में ऐसा जघन्य व वीभत्स हत्याकांड नहीं देखा। यह जंगल राज कायम करने का एक प्रयास था। पुलिसकर्मियों को जिस तरह चिह्नित करके मारा गया, वैसी घटना तो नक्सली भी नहीं करते।

पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन ने कहा कि विकास दुबे व उसके गिरोह का दमन बहुत आवश्यक था। पुलिसकर्मियों के भी मानवाधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। दूसरी तरफ पूर्व डीजीपी डॉ.विक्रम सिंह ने अपने वीडियो में कहा है कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई सरोकार नहीं है। एक नागरिक होने के नाते कहना चाहूंगा कि डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी व एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार, कानपुर पुलिस व एसटीएफ के बहादुर कमांडो ने जो बहादुरी का काम किया है, वह उत्कृष्ट और व्यावसायिक दक्षता का प्रतीक है, लेकिन कुछ लोग यूपी पुलिस की आलोचना कर रहे हैं और जातीयता की फूट डालने का प्रयास कर रहे हैं। सार्थक व सकारात्मक आलोचना का अधिकार सबको है, लेकिन विध्वंसात्मक आलोचना नहीं होनी चाहिए।

बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे और उसके सहयोगियों के मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग वाली दो याचिकाओं पर शीर्ष कोर्ट के समक्ष विस्तृत जवाब पेश किया। पुलिस ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि कानपुर में आठ पुलिसवालों की हत्या के मुख्य आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की मुठभेड़ को फर्जी नहीं कहा जा सकता है। पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि मुठभेड़ सही थी। इसे किसी भी तरह से फर्जी नहीं कहा जा सकता। विकास दुबे की मुठभेड़ की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ, सुनवाई कर रही है। अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।

बता दें कि दुर्दांत विकास दुबे कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में मुख्य आरोपी था। विकास और उसके साथियों ने पुलिस दल पर गोलियां चलाकर और धारदार हथियारों से हमला कर सीओ समेत आठ पुलिस वालों की हत्या कर दी थी। विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया था। उत्तर प्रदेश पुलिस के हवाले किए जाने के बाद 10 जुलाई को कानपुर आते समय उसने कथित तौर पर भागने का प्रयास किया, जिस पर पुलिस ने उसे मार गिराया था।

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