एकेटीयू के निलंबित रजिस्ट्रार यूएस तोमर बर्खास्त

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के निलंबित चल रहे रजिस्ट्रार यूएस तोमर को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Wed, 16 Aug 2017 11:07 PM (IST) Updated:Wed, 16 Aug 2017 11:13 PM (IST)
एकेटीयू के निलंबित रजिस्ट्रार यूएस तोमर बर्खास्त
एकेटीयू के निलंबित रजिस्ट्रार यूएस तोमर बर्खास्त

लखनऊ (जेएनएन)। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के निलंबित चल रहे रजिस्ट्रार यूएस तोमर को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया। प्राविधिक शिक्षा विभाग के सचिव भुवनेश कुमार ने बताया कि यूएस तोमर को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है। यूएस तोमर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नियमों की अनदेखी कर इंजीनियरिंग कॉलेजों को कई कोर्सेज में संबद्धता देने के आदेश जारी किए गए थे। इसमें न तो विश्वविद्यालय की सहमति ली गई थी और न ही शासन द्वारा बनाई गई संबद्धता कमेटी से सहमति ली गई थी। गलत ढंग से संबद्धता देने सहित इन पर अनियमितता के पांच आरोप सही पाए गए हैं। राज्यपाल राम नाईक ने बीते दिनों राज्य सरकार को पत्र लिखकर यूएस तोमर को बर्खास्त करने के आदेश जारी करने को कहा था। आखिरकार बर्खास्तगी का आदेश जारी कर ही दिया गया।

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यूएस तोमर पर आरोप थे कि प्राविधिक विश्वविद्यालय का कुलसचिव रहते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 दिसंबर, 2012 को पारित आदेश के विरद्ध 44 कॉलेजों को जानबूझ कर शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित अंतिम तारीख के बाद संबद्धता प्रदान की। सत्र 2013-14 में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों को प्रवेश देने के समय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में कुलसचिव के रूप में उन्होंने नियमों के विपरीत संबद्धता आदेश जारी किये। रिट याचिकाओं में पैरवी नहीं की और जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में प्रतिशपथ पत्र नहीं दाखिल किया। सत्र 2014-15 में कुलसचिव रहते हुए तोमर ने अपने स्तर से अनधिकृत बैंक खाता खोलकर और विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट से इतर किसी अन्य वेबसाइट को शुरू करते हुए संस्थाओं से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किया और इसके लिए अपनायी गई प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अधिनियम का अनुपालन नहीं किया।  राज्यपाल ने तोमर पर लगे आरोपों की जांच के लिए पांच नवंबर, 2015 को न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) एसके त्रिपाठी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। उन्होंने 23 नवंबर, 2015 को तोमर को कुलसचिव पद से निलंबित कर दिया था।

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समिति ने 31 मई, 2017 को अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी। नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत राज्यपाल ने तोमर को समिति की रिपोर्ट पर 15 जून तक अपना पक्ष रखने का समय दिया था। तोमर ने राज्यपाल के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध किया गया था। इसे स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने 14 और 17 जुलाई को उन्हें व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर प्रदान किया था। उनको सुनने के बाद राज्यपाल ने 20 जुलाई को उन्हें अंतिम नोटिस जारी की थी। इसके बाद 25 जुलाई तक तोमर से स्पष्टीकरण मांगा गया था। स्पष्टीकरण मिलने के बाद बीते दिनों राज्यपाल राम नाईक ने यूएस तोमर को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्य सरकार से की थी। बुधवार को राज्य सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। 

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