यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा विपक्ष को पूरी तरह नि:शस्त्र करने की रणनीति पर कर रही काम

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पांच-छह माह से मिशन मोड में काम कर रहे हैं। पिछले हफ्ते विधानमंडल के मानसून सत्र में प्रस्तुत अनुपूरक बजट में जिन मदों के लिए बजटीय मांग रखी और पारित कराई गई वह भी इसी निशस्त्रीकरण नीति का हिस्सा मानी जा रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 11:53 AM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 11:54 AM (IST)
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा विपक्ष को पूरी तरह नि:शस्त्र करने की रणनीति पर कर रही काम
अनुपूरक बजट में मुख्यमंत्री ने उन सभी बचे रह गए समूहों के लिए प्रविधान किए हैं

लखनऊ, राजू मिश्र। अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के सामने जाने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा विपक्ष को पूरी तरह नि:शस्त्र करने की रणनीति पर काम कर रही है। सत्ता पक्ष ऐसा कोई मुद्दा नहीं छोड़ रहा है, जिस पर मतदाताओं के मंच पर विपक्ष ललकारे तो उस पर हमलावर होने के लिए हथियार या बचाव के लिए ढाल न हो। चाहे कोविड संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के खिलाफ मजबूत चिकित्सा तंत्र बनाने की बात हो या वैक्सीनेशन के जरिये अधिकतम लोगों को सुरक्षित रखने का सवाल।

मंदिर निर्माण में तेजी का प्रश्न हो, काशी विश्वनाथ कारिडोर, विंध्याचल का विकास या फिर ऐसी ही अतीत की अन्य गौरव स्थलियों को संजोने-संवारने का सवाल। मुख्यमंत्री पांच-छह माह से मिशन मोड में काम कर रहे हैं। पिछले हफ्ते विधानमंडल के मानसून सत्र में प्रस्तुत अनुपूरक बजट में जिन मदों के लिए बजटीय मांग रखी और पारित कराई गई, वह भी इसी नि:शस्त्रीकरण नीति का हिस्सा मानी जा रही है।

लखनऊ में विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विधानसभा सत्र में अनुपूरक बजट (2021-22) प्रस्तुत करते वित्त मंत्री सुरेश खन्ना। फोटो सूचना विभाग

अनुपूरक बजट में मुख्यमंत्री ने उन सभी बचे रह गए समूहों के लिए प्रविधान किए हैं, जो पहले किसी न किसी योजना से आच्छादित होने से रह गए थे। उन मदों के लिए भी प्रविधान किए गए हैं, जो पिछले चुनाव में भाजपा के संकल्प पत्र का हिस्सा थे, लेकिन उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा सका। बजट चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नौजवानों के लिए यह घोषणा कर अपने इरादे भी जाहिर कर दिए कि एक करोड़ युवाओं को टैबलेट या स्मार्टफोन दिया जाएगा। टैब या फोन पाने के पात्र स्नातक, परास्नातक, तकनीकी या डिप्लोमा के छात्र होंगे। जरूरत के अनुसार डिजिटल एक्सेस भी मुफ्त मिलेगा। दरअसल, इस श्रेणी में वही छात्र आते हैं, जिन्होंने कोविड के चलते पढ़ाई में सर्वाधिक बाधा ङोली है। विशेष बात यह है कि यह वर्ग अगले विधानसभा चुनाव में ‘फस्र्ट टाइम वोटर’ भी होगा।

विपक्ष रोजगार के मोर्चे पर सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी कर रहा है। इसकी काट के रूप में मुख्यमंत्री ने उन प्रतियोगी छात्रों को तीन परीक्षाओं तक भत्ता देने की घोषणा की है जो रोजगार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए कारपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी फंड, अन्य वित्तीय संस्थाओं और विश्वविद्यालयों के सहयोग से 3000 करोड़ रुपये का एक कोष स्थापित किया जाएगा। विपक्ष द्वारा संस्कृत विद्यालयों को बंद करने का आरोप लगता रहा है। सरकार पहली बार संस्कृत छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने जा रही है। साथ ही, मानदेय के आधार पर संस्कृत शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

मानदेय के आधार पर काम करने वाली सबसे निचले स्तर की श्रम शक्ति के लिए भी बजटीय प्रविधान किए गए हैं। कोविड काल में इस कतार के कर्मचारियों ने बेहद सराहनीय काम किया है। मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में इन सभी के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि रोजगार सेवकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं सहित उन सभी कार्मिकों का मानदेय बढ़ाया जाएगा, जिन्हें अभी तुलनात्मक रूप से कम मिलता है।

युवा अधिवक्ताओं के लिए पहले ही घोषणा कर चुकी सरकार अब सभी अधिवक्ताओं को सामाजिक सुरक्षा देने जा रही है। इसकी राशि डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये की जा रही है। इसके माध्यम से योगी सरकार ने मतदाताओं के उन छोटे-छोटे समूहों को साधने की कोशिश की है जो किन्हीं कारणों से नाराज चल रहे थे। ये घोषणाएं उस वक्त सरकार के लिए ढाल का काम करेंगी जब विपक्ष चुनावी प्रहार करेगा।

जन आशीर्वाद यात्रओं से नई ऊर्जा: केंद्र सरकार में हाल ही में शामिल किए गए अन्य पिछड़ा वर्ग के मंत्रियों की जन आशीर्वाद यात्रओं से भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में नई ऊर्जा मिली है। हालांकि ये यात्रएं पूरे देश में निकाली गईं, लेकिन चुनावी वर्ष होने के कारण इसका सर्वाधिक राजनीतिक महत्व उत्तर प्रदेश के लिए ही रहा। भाजपा ने इन यात्रओं का आह्वान यह कहकर किया था कि विपक्ष ने संसद बाधित कर युवा व आर्थिक/ सामाजिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के मंत्रियों का परिचय कराने का भी अवसर नहीं दिया। इसलिए ये मंत्री जनता के बीच जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। चुनाव से पहले भाजपा इस तरह की यात्राओं के जरिये एक तरह से अपनी वार्म-अप एक्सरसाइज कर रही है।

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