Defence Expo 2020: दुनिया देखेगी...अंतरिक्ष के 'योद्धा' भारत को, विश्वभर के दिग्गज जुटेंगे हथियारों की मंडी में
Defence Expo 2020 दुनियाभर के दिग्गज जुटेंगे हथियारों की मंडी में एसेट को लेकर भारत की संभावनाएं बढ़ीं।
लखनऊ [निशांत यादव]। डिफेंस एक्सपो-2020 में जमीन, पानी और हवा में मार करने वाले हथियार ही नहीं दिखेंगे। भविष्य के अंतरिक्ष युद्ध में कौन देश कितना कितना ताकतवर है..? इससे भी पर्दा उठेगा। होड़ में इस अत्याधुनिक तकनीक से लैस चुनिंदा चार देशों की कतार में खड़ा भारत भी शामिल होगा। मिशन शक्ति के तहत सेटेलाइट मार गिराने वाले डीआरडीओ के मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर को पहली बार दुनिया देखेगी। अपने सबसे अचूक अस्त्र को उतारने के पीछे मंशा हथियारों के बाजार में गहरी पैठ बढ़ाना है।
पांच फरवरी से प्रस्तावित डिफेंस एक्सपो-2020 की तरीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, लखनऊ में सजने वाली हथियारों की मंडी की पूरी तस्वीर साफ हो गई है। इस दौरान हथियार बनाने वाले अग्रणी देशों की तकनीकि ताकत के बीच भारत की कोशिश सबसे बड़ा आयातक नहीं, मेक इन इंडिया के तहत हथियारों का बड़ा निर्यातक बनने की है।
वैसे भी, अंतरिक्ष में युद्ध के कौशल की तरफ कदम बढ़ा चुके दुनिया के चुनिंदा देश अमेरिका, चीन, रूस के साथ भारत भी पहले ही खड़ा है। चूंकि, इन देशों में अकेला चीन ही एक्सपो में भाग नहीं ले रहा है। ऐसे में उसके हिस्से के बड़े बाजार पर भारत की नजर है। साथ ही दुनिया की सबसे तेज रफ्तार वाली सुपरसोनिक मिसाइल ब्रोस समेत अन्य देसी हथियारों को भी प्रमोट करने का इरादा है।
मेक इन इंडिया के ये हथियार भी होंगे खास
एंटी सेटेलाइट मिसाइल, ब्रोस के अलावा दुनिया की नजरें डीआरडीओ के बनाए अन्य हथियारों पर भी होगी। रडार के क्षेत्र में इजराइल को भारत कड़ी प्रतिस्पर्धा देता दिखेगा। इसके के लिए इलेक्ट्रानिक्स ट्रांसपोर्टेबल रडार अश्विनी, मीडियम पावर रडार अरुध्र और मल्टी फंक्शनल रडार उतारे जाएंगे।
पूरी तरह स्वदेशी आर्टीलरी गन धनुष को मार्केट में होवित्जर एम-777 के विकल्प के रूप में पेश किया जाएगा। ’अजरुन टैंक की बाधाएं दूर करने के बाद इसकी आपूर्ति बढ़ाने की कोशिश रहेगी। ’बीईएमएल अपनी मीडियम बुलेट प्रूफ व्हीकल के लिए भी बाजार तलाशेगा’ भारतीय आर्डिनेंस फैक्ट्री की माइन प्रोटेक्टेट व्हीकल भी दक्षिण अफ्रीका के उपकरणों को चुनौती देंगे।
एक्सपो में विदेशी कंपनियों की मेक इन इंडिया की प्रतिबद्वता भी नजर आएगी।
अमेरिका एम-777 होवित्जर आर्टीलरी गन को मेक इन इंडिया थीम पर प्रदर्शित करेगा।
भारत के बाजार पर फिदा बोइंग
एक्सपो पर बोइंग जैसी कंपनियों की भी नजर है। चिनूक के बाद बोइंग की कोशिश भारतीय नौसेना के लिए एफए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान बेचने की है। इस विमान को अभी अमेरिकी नौसेना इस्तेमाल कर रही है। रूस की तीन कंपनियां भी विमानों को मार गिराने वाली आधुनिक गन लेकर आ रही है। थॉलेस के थल, जल और वायु सुरक्षा की श्रंखला होगी। मल्टी सेंसर इंटीग्रेटेड सिस्टम सात किलोमीटर के दायरे में उड़ रहे ड्रोन का पता लगाकर उसे नष्ट कर सकता है।