नोटबंदी से बीते चुनाव के मुकाबले दस फीसद ज्यादा होगा खर्च

नोटबंदी आने वाले विधानसभा चुनाव में कालेधन का प्रवाह नहीं रोक सकेगी। बल्कि, नोटबंदी से चुनाव और महंगा होगा। नोटबंदी से चुनाव प्रचार पर असर नहीं पड़ेगा।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Tue, 27 Dec 2016 10:13 AM (IST) Updated:Tue, 27 Dec 2016 11:35 AM (IST)
नोटबंदी से बीते चुनाव के मुकाबले दस फीसद ज्यादा होगा खर्च

लखनऊ (जेएनएन)। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स (एडीआर) के इलेक्शन वॉच ने दावा किया है कि नोटबंदी आने वाले विधानसभा चुनाव में कालेधन का प्रवाह नहीं रोक सकेगी। बल्कि, नोटबंदी से चुनाव और महंगा होगा। संभावित प्रत्याशियों और पार्टी पदाधिकारियों में 69 फीसद का कहना है कि नोटबंदी से चुनाव प्रचार पर असर नहीं पड़ेगा।
यूपी, इलेक्शन वॉच के मुख्य संयोजक संजय सिंह ने सोमवार को प्रेसक्लब में एडीआर की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर पत्रकारों को यह जानकारी दी। संजय के मुताबिक नोटबंदी के बावजूद बीते चुनाव के मुकाबले इस बार 10 फीसद ज्यादा धन खर्च होगा। ज्यादातर उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए पुराने तरीकों का सहारा लेंगे। यानी पैसा पानी की तरह बहाएंगे। हालांकि सर्वे में शामिल 80 फीसद आम लोगों का मानना है कि नोटबंदी के चलते चुनाव प्रचार में कठिनाई होगी। चुनाव में कारोबार करने वालों में 60 फीसद मानते हैं कि उनके कारोबार पर कोई असर नहीं होगा जबकि 30 फीसद का कहना है कि थोड़ा-बहुत असर होगा। सर्वे में यह बात भी आयी कि एक लाख रुपये के नोटों के लिए प्रत्याशी को 25 हजार अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं।

पढ़ें- आगरा में मां-बेटी से छेड़छाड़, सामूहिक आत्महत्या की धमकी
सर्वे 30 सीटों पर
संजय सिंह ने बताया कि नोटबंदी के बाद कालेधन पर अंकुश और चुनाव सुधार के लिए उन्होंने 10 मंडलों झांसी, बांदा, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, बनारस, गोरखपुर, इलाहाबाद, आगरा और बरेली की तीस विधानसभा सीटों पर संभावित उम्मीदवारों, पार्टी पदाधिकारियों, कारोबारियों और आमजन के बीच रुझान का पता किया। हर विधानसभा क्षेत्र में दस संभावित उम्मीदवार समेत 300 लोग चुने गये। कुल नौ हजार लोगों सर्वे किया गया।

पढ़ें- नोटबंदी का 49वां दिन, बैंकों के बाहर लाइन घटी पर दुश्वारियां बरकरार
अमीरों से नकदी की जगह संसाधन
ज्यादातर उम्मीदवारों ने पूंजीपतियों, अमीरों, चिकित्सकों, बिल्डरों और ठेकेदारों तक संदेश भिजवा दिया है कि चुनाव में उन्हें नकदी की जगह गाड़ी, संसाधन, होटल, कार्यकर्ताओं के भोजन और कपड़ों की जरूरत होगी।

भागवत भंडारे के जरिये प्रचार
सर्वे के अनुसार पहले की अपेक्षा धर्म और जाति का प्रभाव बढ़ेगा। अभी से उम्मीदवारों ने जनवरी और फरवरी माह में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के जरिये भागवत भंडारे आयोजित कर दिए हैं। इसके लिए आयोग से अनुमति की भी जरूरत नहीं होगी। भंडारे में लोगों को भोज दिए जाएंगे और उसमें उम्मीदवार की भी मौजूदगी रहेगी। मुस्लिम कम्युनिटी के बीच भी इस तरह के आयोजन होंगे।

पढ़ें- हर किसी को जिंदगी में ये मुकाम नहीं मिलता .....जलते रहोः मो.शमी

आयोग से करेंगे शिकायत
एडीआर चुनाव आयोग से रिपोर्ट शेयर करेगा। इस पर अंकुश लगाने की मांग के साथ बताएगा कि इस तरह के प्रयोग होने से हिंसा बढ़ सकती है।

पैसे की किल्लत नहीं
सर्वे के मुताबिक एक भी उम्मीदवार को पैसे की किल्लत नहीं है। किसी ने यह नहीं कहा कि नोटबंदी से उसका चुनाव प्रभावित होगा। उधर प्रत्याशी को भले दिक्कत न हो लेकिन, पब्लिक को लगता है कि चुनाव लडऩा आसान नहीं है।

पढ़ें- अखिलेश ने जिस विधायक को पार्टी से निकाला, शिवपाल उसे वापस ले आये

जनधन खातों में गया पैसा
बड़ी तादाद में चुनावी पैसा जनधन खातों में जमा कराया गया। संभावित प्रत्याशियों व पार्टियों ने नोटबंदी के साथ ही कालाधन चुनाव खर्च के लिए एडवांस दे दिया। प्रत्याशियों और दलों ने गाडिय़ां, कीमती सामान, साडिय़ां, मोबाइल खरीद लिए हैं। नोटबंदी के बाद नए दलाल पैदा हो गये हैं जो कालाधन खपाने में लगे हैं।

इवेंट कंपनियों से भेजेंगे गिफ्ट
चुनाव आयोग की सख्ती के चलते इस बार उम्मीदवारों ने इवेंट कंपनियों की मदद ली है। इनके जरिए लोगों को महंगे गिफ्ट भेजे जाएंगे। अगर किसी वजह से टिकट नहीं मिला तो वे इसे दूसरे उम्मीदवार को शिफ्ट कर देंगे।

पढ़ें- अखिलेश के समाजवादी स्मार्टफोन के लिए 1.09 करोड़ ने कराया रजिस्ट्रेशन

पढ़ें- नौकरी के नाम पर डेढ़ साल करता रहा दुष्कर्म, डेढ़ लाख में बेचा

पढ़ें- नोटबंदी से बीते चुनाव के मुकाबले दस फीसद ज्यादा होगा खर्च

chat bot
आपका साथी