अयोध्या के धन्नीपुर में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिली जमीन, केंद्र की सहमति के बाद योगी कैबिनेट की मुहर

लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी के राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन के ऐलान के साथ ही योगी कैबिनेट ने भी सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 05 Feb 2020 07:40 PM (IST) Updated:Thu, 06 Feb 2020 07:32 AM (IST)
अयोध्या के धन्नीपुर में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिली जमीन, केंद्र की सहमति के बाद योगी कैबिनेट की मुहर
अयोध्या के धन्नीपुर में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिली जमीन, केंद्र की सहमति के बाद योगी कैबिनेट की मुहर

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन का ऐलान करने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने भी बुधवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत थाना रौनाही के पास स्थित ग्राम धन्नीपुर में पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई है।

यह भूमि लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर थाना रौनाही के 200 मीटर पीछे है, जबकि रामलला जन्म स्थान से इसकी दूरी करीब 25 किलोमीटर है। सोहावल तहसील में पड़ने वाली इस जमीन के आस-पास मुस्लिम आबादी है। इस भूमि पर सुन्नी वक्फ बोर्ड मस्जिद एवं उससे जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए स्वतंत्र होगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन देने के लिए तीन स्थानों का चयन किया था। यह तीनों विकल्प सहमति के लिए केंद्र सरकार को भेजे गए थे। केंद्र से सहमति मिलने के बाद योगी कैबिनेट ने बुधवार को रौनाही की जमीन पर मुहर लगा दी। प्रदेश सरकार इस जमीन को हर लिहाज से उपयुक्त मान रही है। आवागमन के लिए सड़क मार्ग, जन सुविधाओं के साथ सांप्रदायिक सौहार्द व कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी इसे उचित स्थान माना जा रहा है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का फैसला किया था। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या एक्ट 1993 के तहत अधिग्रहीत जमीन में से (1500 वर्ग गज विवादित जमीन छोड़कर) अथवा अयोध्या के प्रसिद्ध जगह पर राज्य सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध कराई जाए जिस पर मस्जिद एवं उससे जुड़ी सुविधाओं के विकास करने की स्वतंत्रता हो। इसके लिए तीन माह की समय सीमा दी थी। यह समय सीमा नौ फरवरी को पूरी हो रही है। इससे पहले ही योगी सरकार ने बुधवार को पांच एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड के नाम आवंटित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर होगा सामाजिक समरसता का प्रतीक : योगी

अयोध्या में मंदिर निर्माण को श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाने के फैसले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर बननेवाला मंदिर सामाजिक समरसता का प्रतीक होगा।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया-'अवधपुरी में श्रीराम जन्मभूमि पर स्थापित होने वाला मंदिर सामाजिक समरसता का प्रतीक स्थल होगा। पांच दशकों की प्रतीक्षा के बाद अब शीघ्र ही भव्य-दिव्य मंदिर में हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम विराजमान होंगे। यह हर्ष उत्कर्ष व आनंद उल्लास का अवसर है। प्रभु श्रीराम हमारा मार्ग प्रशस्त करें।'

अवधपुरी में श्री राम जन्मभूमि पर स्थापित होने वाला मंदिर सामाजिक समरसता का प्रतीक स्थल होगा
5 दशकों की प्रतीक्षा के बाद अब शीघ्र ही भव्य-दिव्य मंदिर में हमारे आराध्य प्रभु श्री राम विराजमान होंगे

यह हर्ष-उत्कर्ष व आनंद-उल्लास का अवसर है।

प्रभु श्री राम हमारा मार्ग प्रशस्त करें।— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 5, 2020

उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि करोड़ों श्रद्धालुओं का सदियों का इंतजार खत्म होगा। उन्होंने कहा, आज अत्यंत हर्ष व गौरव का दिन है। सैकड़ों वर्षो के संघर्ष के बाद यह शुभ घड़ी आई है। जिस तरह समाज के सभी वर्गो ने सौहार्द व भाईचारे का वातावरण प्रस्तुत किया, वह भी देश की एकता व अखंडता को प्रदर्शित करता है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड अपनी मीटिंग में करेगा तय

सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीइओ सैयद मो.शोएब कहते हैं कि प्रदेश सरकार की तरफ से भूमि आवंटन का कोई प्रस्ताव अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। जब प्रस्ताव आएगा तब इसे बोर्ड मीटिंग में रखा जाएगा। अगली बोर्ड बैठक 24 फरवरी को प्रस्तावित है। भूमि लेने या न लेने के साथ ही इसमें मस्जिद बनाने के अलावा और क्या-क्या किया जा सकता है, इसका फैसला बोर्ड करेगा। सूत्रों के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड यहां इंडो इस्लामिक कल्चर ट्रस्ट बनाने जा रहा है। इसके जरिए पांच एकड़ जमीन पर अस्पताल, विद्यालय, संस्थान, लाइब्रेरी सहित अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जा सकते हैं। वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी पहले ही कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करेंगे। 

दूसरी जगह जमीन लेना शरीयत के खिलाफ : जफरयाब

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव एवं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि किसी भी मस्जिद की जमीन के बदले न तो जमीन दी जा सकती है न ही ली जा सकती है। यह शरीयत के खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले से ही जमीन न लेने का निर्णय कर चुका है। हालांकि जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई है इसलिए उन्हें तय करना है कि जमीन लेनी है या नहीं। 

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