जमीन लेनी है या नहीं यह फैसला सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का : जफरयाब जिलानी

यूपी कैबिनेट में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने किया स्वागत।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 05 Feb 2020 01:52 PM (IST) Updated:Thu, 06 Feb 2020 07:26 AM (IST)
जमीन लेनी है या नहीं यह फैसला सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का : जफरयाब जिलानी
जमीन लेनी है या नहीं यह फैसला सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का : जफरयाब जिलानी

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर ट्रस्ट के गठन का ऐलान करने के साथ ही योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के रौनाही में पांच एकड़ जमीन देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। लोक भवन में उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इस फैसले को हरी झंडी दी गई। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए न्यास बनाने की घोषणा के साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार ने मस्जिद के लिए भी पांच एकड़ जमीन देने का एलान किया है। इस पर राजधानी लखनऊ में शिया वक्फ बोर्ड ने खुशी जाहिर की है।

वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं संयोजक बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सचिव एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि किसी भी मस्जिद की जमीन के बदले में जमीन न दी जा सकती है ना ली जा सकती है यह इस्लामी शरीयत और कानून दोनों के ही खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले से ही जमीन लेने के पक्ष में नहीं है। हालांकि जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई है इसे तय करना है कि जमीन लेनी है या नहीं यह फैसला 1993 के एक्ट के खिलाफ है साथ ही 1994 में दिए गए कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी है। 

बंद होगी सियासत 

ऐशबाग ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माड के लिए केंद सरकार को निर्देश दिया था। सरकार ने 3 महीने के अंदर मंदिर निर्माड के लिए ट्रस्ट को कैबिनेट की मंजूरी देकर वर्षो से चले आ रहे एक मुद्दे का अंत कर दिया है। मंदिर - मस्जिद विवाद में अभी तक बहुत सियासत हो चुकी है, पीएम के एलान के बाद इस मुद्दे पर अब किसी को सियासत का मौका नही मिलेगा। 

सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की 

शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने कहा कि केंद सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई। सरकार ने हिन्दू भाइयो को मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करके उनका हक दिया। बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकिर ने कराया था, जो शिया थे। इसलिए जो जमीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मिली वो शिया वक़्फ़ बोर्ड को मिलनी चाहिए थी। शियो ने इसके लिए कभी आवाज़ नही उठाई, सिया वक़्फ़ बोर्ड ने कोर्ट में अपनी बात रखी लेकिन 71 साल की देरी हो चुकी थी। इसकी वजह से सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को ज़मीन मिली। जो अगर शिया वक़्फ़ बोर्ड को मिलती तो बोर्ड स ज़मीन पर दूसरा राम मंदिर का निर्माण करता। 

मंदिर निमार्ण के लिए सभी संगठन शामिल हों 

शिया मरकज़ी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने 3 महीने का टाइम मांगा था, सरकार ने उस टाइम के अंदर मंदिर निर्माण का फैसला कर कैबिनेट की मंजूरी दे दी। राम मंदिर निर्माण के लिए हमारी शुभकामनाए। मंदिर निर्माण ट्रस्ट में जिन हिन्दू संगठनों ने शामिल होने का दावेदारी पेश की थी, उनको भी शामिल किया जाए। ताकि भविष्य में मंदिर निर्माण में कोई और विवाद न हो। सभी संगठनों को ट्रस्ट में शामिल करके एकजुट होकर मंदिर का निर्माड किया जाना चाहिए। 

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