अपनी सरकारों पर दाग लगाने वालों की कहानियां एक नहीं अनेक
सत्ता और सेक्स काकटेल की कहानियां एक नहीं अनेक हैं। गायत्री प्रसाद उसके नए किरदार हैं। अपनी सरकार पर दाग लगाने वाले वह पहले मंत्री नहीं हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। सत्ता और सेक्स के काकटेल की कहानियां एक नहीं अनेक हैं। दुष्कर्म के आरोपी गायत्री प्रसाद उसके नए किरदार के रूप में उभरे हैं। अपनी सरकार पर दाग लगाने वाले वह कोई पहले मंत्री नहीं हैं। उनके पहले के भी कई उदाहरण मौजूद हैं। फिलहाल उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है।
पहले भी सरकारों के जाते-जाते कई लोग दाग लगा चुके हैं।
वर्ष 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी थी। उसके पहले जब मायावती की सरकार थी तो कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के आरोप में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पर शिकंजा कसा और अब वह सजा भुगत रहे हैं। 2006 में मुलायम सिंह यादव की सरकार के आखिरी दौर में कविता चौधरी और पूर्व मंत्री मेराजुद्दीन के अंतरंग संबंधों को लेकर सियासी गलियारों में तूफान आ गया था। कविता चौधरी की लाश आज तक नहीं मिली और इस मामले से जुड़ा अहम गवाह भी डासना जेल में मारा गया। बसपा सरकार में भी मंत्री आनन्द सेन यादव को एक युवती की हत्या के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी। बाद में वह अदालत से बरी हो गये। 2012 में मायावती की सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले बांदा जिले के बसपा विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में फंस गये और सीबीआइ जांच में उन पर आरोप सही पाये गये। बसपा के ही पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद पर भी आरोप लगे लेकिन, जांच में आरोप प्रमाणित नहीं हुए। ऐसे मामलों की लंबी ऋंखला है।
शपथ ग्रहण से पहले गायत्री सलाखों के पीछे
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 18 फरवरी को राजधानी के गौतमपल्ली थाने में परिवहन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत सात लोगों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ तो उनकी गिरफ्तारी को लेकर दबाव बढऩे लगा। शुरू में पुलिस जांच-पड़ताल और पीडि़ता के बयान लेने की बात करती रही। फिर पुलिस यही कहती रही कि उनकी तलाश हो रही है। 27 फरवरी को गायत्री अपने सुरक्षाकर्मियों को छोड़कर फरार हो गये। कभी वह नोएडा तो कभी लखनऊ तो कभी अमेठी से पुलिस को चकमा देकर भागते रहे। चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के साथ ही उन्हीं अफसरों ने जो गायत्री को ढूंढ़ नहीं पा रहे थे, पकडऩे का नुस्खा खोज लिया। गायत्री के पुत्र और भतीजे को हिरासत में लेकर दबाव बढ़ा दिया। सूत्र बताते हैं कि कोलकाता में फरारी काट रहे गायत्री भागे चले आये और पुलिस ने उन्हें आलम बाग से गिरफ्तार कर लिया।गायत्री पर मुकदमा दर्ज होने के बाद वह चुनावी मुद्दा बन गये थे। उनकी गिरफ्तारी को लेकर भाजपा आक्रामक थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य अपनी हर सभा में गायत्री की गिरफ्तारी न होने पर अखिलेश सरकार को घेर रहे थे। अमित शाह ने एलान किया था कि उनकी सरकार बनेगी तो गायत्री सलाखों के पीछे होंगे। शपथ ग्रहण से पहले ही गायत्री सलाखों के पीछे चले गये।