बचकर रहना है सर्दियों में संक्रमण से, सेहत के प्रति रहें सजग; खानपान पर दें ध्यान

लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि सर्दी चरम पर है। इस मौसम में कुछ खास किस्म के वायरस होते हैं सक्रिय जो बनते हैं संक्रमण का कारण साथ ही कोरोना का खतरा अभी कायम है..

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 03:27 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 03:34 PM (IST)
बचकर रहना है सर्दियों में संक्रमण से, सेहत के प्रति रहें सजग; खानपान पर दें ध्यान
पारा लगातार गिरता जा रहा है और सर्दी चरम पर है।

लखनऊ, जेएनएन। बढ़ी सर्दी और तापमान में कमी के साथ प्रदूषकों की बढ़ती मात्र स्वास्थ्य के लिए एक अनचाही मुसीबत का कारण बन रही है। गिरता पारा जनजीवन और स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में अस्पतालों में निमोनिया, अस्थमा, सीओपीडी, फ्लू, कोल्ड डायरिया, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ना तय है। धुएं और छोटे-छोटे प्रदूषण कणों के इर्द-गिर्द जमने से बना ‘स्मॉग’ भी सेहत के लिए मुसीबत बन रहा है। जिसकी वजह से आंखों में जलन, आंसू आना, नाक में खुजली, गले में खराश, और खांसी जैसे संक्रमण के रोगियों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। छोटे बच्चों व वृद्धों में यह दिक्कतें और भी ज्यादा परेशान करने वाली हैं।

दरअसल, इन लोगों में फेफड़ों के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। अत: बच्चों, वृद्धों व सांस के रोगियों को हर हाल में सर्दी से बचकर रहना है। सर्दी बढ़ने के साथ ही सांस की नली की संवेदनशीलता तुलनात्मक रूप से बढ़ जाती है। जिससे सांस की नली सिकुड़ती है। तापमान में गिरावट के कारण ही रक्त वाहिनियों में भी सिकुड़न की समस्या होती है और कोलेस्ट्राल का जमाव बढ़ता है। सर्दी का मौसम कुछ खास किस्म के विषाणुओं को सक्रिय कर देता है। इस समय नाक और गले का संक्रमण सबसे अधिक होता है। इसके अलावा यह समय फ्लू या इंफ्लूएंजा विषाणु के सक्रिय होने का भी है, जिसके फलस्वरूप फ्लू के मामलों में भी वृद्धि होगी। मतलब सर्दी, कोहरा व वायु प्रदूषण तीनों ही कई बीमारियों को बढ़ावा देंगे। जिससे कोरोना का खतरा और भी बढ़ सकता है।

सेहत के प्रति रहें सजग: बढ़ी ठंड में बच्चों, वृद्धों, गर्भवती महिलाओं, मधुमेह रोगियों व अन्य जटिल रोगों जैसे दमा सीओपीडी, डायबिटीज, हृदय रोग से ग्रस्त लोगों में कोरोना संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। इन गंभीरताओं में निमोनिया, हार्ट अटैक, मल्टिपल आर्गन फेल्योर जैसी स्थितियां शामिल हैं। ठंड के मौसम में नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में विषाणु जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सर्दी को नजरअंदाज करना सेहत के लिहाज से कतई ठीक नहीं है।

पर्याप्त पानी पिएं: सर्दी में तापमान कम होने व पसीना कम निकलने के कारण प्यास कम लगती है। इसलिए पानी समुचित मात्र में पीते रहें। पूरे दिन में सात से आठ गिलास पानी पीने से न सिर्फ शरीर में जल की कमी नहीं होती है और साथ ही शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत बना रहता है। इससे शरीर को मामूली सर्दी, जुकाम से लेकर फ्लू तक से लड़ने की शक्ति मिलेगी।

रखें साफ-सफाई: सर्दियों के दौरान बीमारी पैदा करने वाले कई किस्म के विषाणु और जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं, जो कि फ्लू और सर्दी, जुकाम जैसी परेशानियों के अलावा डायरिया व पेट दर्द का कारण बनते हैं। ऐसे में जरूरी है कि खाने से पहले ताजे या गुनगुने पानी और साबुन से हाथों को धोया जाए। सर्दी के कारण ही त्वचा संबंधी रोग दाने, खुजली और फुंसी आदि हो सकते हैं। इसलिए गुनगुने पानी से नियमित स्नान करें। छोटे बच्चों, बुजुर्गो, हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों तथा हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को सुबह जल्द स्नान करने से बचना चाहिए।

अलाव का प्रयोग करें संभलकर: सर्दी से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका पूरे शरीर को गर्म कपड़ों से अच्छी तरह ढककर रखना है। सर्दी बढ़ने पर अंगीठी, अलाव और हीटर का इस्तेमाल शुरू हो गया है। ध्यान रखने की बात यह है कि गर्मी प्रदान करने वाले ये सारे साधन न सिर्फ जहरीली गैसें फैलाते हैं, बल्कि आसपास की ऑक्सीजन को भी सोख लेते हैं। खासतौर पर बंद जगहों पर जहां हवा का भरपूर आवागमन संभव न हो वहां अंगीठी, अलाव या हीटर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह जानलेवा हो सकता है।

धूमपान व अल्कोहल से नहीं मिलती गर्मी: अक्सर लोग इस भ्रम में रहते हैं कि अल्कोहल सर्दियों में शरीर को गर्म रखती है। यह गलतफहमी है। अल्कोहल शरीर को नाम मात्र की ऊर्जा देती है। यदि लिवर सिरोसिस जैसे दूरगामी परिणामों को छोड़ दिया जाए तो भी यह सेहत खराब करती है। अल्कोहल के दुष्प्रभाव के चलते शरीर की ठंड को महसूस करने की संवेदना समाप्त हो जाती है। इसके सेवन से हाइपोथर्मिया (सर्दियों की वजह से होने वाले सन्निपात) हो सकता है। धूमपान से शरीर को तुरंत राहत महसूस हो सकती है, लेकिन कोई वास्तविक राहत नहीं मिलती है।

सही समय पर करें व्यायाम: सर्दियों में सुबह-सुबह व्यायाम या मार्निग वॉक करने से बचें। यह सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। बुजुर्ग, हृदय रोगी एवं गठिया से ग्रस्त लोग ठंड कम होने तक घर के अंदर ही योग आदि करें। मौसम ठीक होने पर ही घर के बाहर या पार्क का रुख करें और अपनी सामथ्र्य के अनुसार हल्के या मध्यम स्तर के व्यायाम जैसे टहलना, जॉगिंग, साइकिलिंग में भागीदारी करें।

धूप में अवश्य बैठें: सर्दी के मौसम में धूप में बैठना विशेष रूप से लाभकारी होता है। धूप में बैठने से विटामिन-डी प्रचुर मात्र मे मिलती है, जिससे गठिया के रोगियों, बच्चों तथा बुजुर्गो को विशेष लाभ मिलता है। धूप में बैठना सांस रोगियों के लिए भी लाभदायक है।

खानपान पर दें ध्यान: सब्जियों व फलों का भरपूर सेवन करें साथ ही पेय पदार्थो की पर्याप्त मात्र लें। इससे प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत रहेगा। सर्दियों में बादाम, अखरोट, तिल, मूंगफली, गुड़ आदि का सेवन जरूर करें। यह गर्म तासीर के होने के कारण बहुत ही लाभकारी हैं। यह भी ध्यान रखें कि यदि आप डायबिटिक हैं तो आपके लिए क्या खाना ठीक रहेगा और क्या खाने से बचना है। इस मौसम में गरम तरल पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, हल्दी वाला दूध, सूप अधिक मात्र में लेने चाहिए।

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