सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दी जन्मदिन की बधाई...पर बसपा प्रमुख मायावती ने दिखाए तेवर

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के 64वें जन्मदिन पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जन्मदिन की बधाई दी है। अखिलेश ने ट्वीट के जरिये मायावती को बधाई संदेश भेजा है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 15 Jan 2020 03:56 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jan 2020 04:10 PM (IST)
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दी जन्मदिन की बधाई...पर बसपा प्रमुख मायावती ने दिखाए तेवर
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दी जन्मदिन की बधाई...पर बसपा प्रमुख मायावती ने दिखाए तेवर

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के 64वें जन्मदिन पर बुधवार को समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जन्मदिन की बधाई दी है। अखिलेश ने ट्वीट के जरिये मायावती को बधाई संदेश भेजा, लेकिन रिटर्न गिफ्ट के तौर पर कुछ नहीं मिला। इतना ही नहीं बहनजी की ओर से बधाई पर धन्यवाद कहना भी उचित नहीं समझा गया। यानी अबकी माहौल एक वर्ष पहले जैसा न था।

मायावती के पिछले जन्मदिन पर अखिलेश यादव ने उनके घर पहुंचकर जन्मदिन की बधाई थी। पिछले वर्ष जब सपा-बसपा के बीच दोस्ताना रिश्ते थे तब मायावती को जन्मदिन की बधाई देने के लिए अखिलेश कश्मीरी शॉल लेकर उनके पास पहुंचे थे। तब बसपा प्रमुख ने न केवल बधाई स्वीकार की थी वरन रिटर्न गिफ्ट के तौर पर डिंपल यादव को पुष्प गुच्छ व उपहार दिए थे। अखिलेश की पत्नी डिंपल का जन्मदिन भी 15 जनवरी है। अखिलेश की ओर से बधाई ट्वीट का जवाब देना भी मायावती ने उचित न समझा।

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई! — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 15, 2020

लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा ने किया था गठबंधन

पूर्वा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से मायावती को शुभकामना संदेश देते हुए लिखा है कि 'बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।' गौरतलब है कि कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा ने गठबंधन किया था। इस गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल था। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से बसपा को 10 और सपा को 5 सीटों पर ही सफलता मिल सकी थी। इन नतीजों के बाद यह गठबंधन ज्यादा दिन टिक नहीं सका था। मायावती ने सपा से गठबंधन के बाद बसपा को नुकसान का हवाला देते हुए अपने रास्ते अलग कर लिए थे।

...अभी राष्ट्रीय मुद्दों व दलों पर ही बात होगी

सपा के प्रति बसपा प्रमुख की बेरुखी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि पत्रकारों द्वारा अखिलेश यादव से जुड़े सवाल पूछे जाने पर उन्होंने तल्खी भरे जवाब दिए। जन्मदिन पर पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जब मायावती से पूछा गया कि आप समाजवादी पार्टी को लेकर कुछ नहीं बोल रही हैं। बसपा प्रमुख का जवाब तंज भरा था। उन्होंने कहा कि अभी राष्ट्रीय मुद्दों व दलों पर ही बात होगी। प्रदेश स्तर पर बोलने को बहुत वक्त चाहिए। बात घुमाते हुए उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। बसपा प्रमुख ने एनआरसी को लेकर अखिलेश के आह्वान को खारिज किया। जब उनसे पूछा गया कि एनआरसी फार्म का आप भरेंगी या नहीं तो मायावती ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अभी ऐसा कुछ भी लागू नहीं हुआ। जब ऐसा होगा तब ही देखा जाएगा, लेकिन आप मुझे उससे क्यूं जोड़ते हो? इतना कह मायावती प्रेस कांफ्रेंस से चली गईं।

पिछले वर्ष 25 साल बाद हुआ था गठबंधन

लोकसभा चुनाव के दौरान सपा और बसपा का यूपी में 25 साल बाद गठबंधन हुआ था। 2 जून, 1995 के स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद से दोनों पार्टियां अलग हो गई थीं। उस वक्त सपा नेताओं पर मायावती और उनके विधायकों को अगवा करने और जान से मारने की कोशिश का आरोप लगा था। तभी से दोनों पार्टी के रिश्तों में तल्खी चल रही थी। इसके बाद वर्ष 2018 में गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव ने दोनों पार्टियों में दोस्ती जमीन तैयार हुई थी। इस चुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारते हुए सपा को समर्थन देने की घोषणा की थी। सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर में भाजपा को शिकस्त देने के बाद अखिलेश ने राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर को समर्थन दिया था। इसी के बाद से दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के कयास लगाए जाने लगे थे, जो पिछले लोकसभा चुनाव में परवान चढ़ गए। हालांकि चुनाव के बाद उसमें फिर से दरार आ गई।

chat bot
आपका साथी