सहकारिता विभाग में हुई भर्तियों की एसआइटी जांच शुरू

शासन से स्पष्ट गाइड लाइन मिलने के बाद एसआइटी की टीम ने 2012 से 2017 के बीच हुई नियुक्तियों के दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 22 Jun 2018 02:35 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jun 2018 02:35 PM (IST)
सहकारिता विभाग में हुई भर्तियों की एसआइटी जांच शुरू
सहकारिता विभाग में हुई भर्तियों की एसआइटी जांच शुरू

लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के साथ ही अन्य आयोग ने भी भर्ती में घालमेल किया था। अब सहकारिता विभाग के अधीनस्थ संस्था में हुई सभी नियुक्तियों की विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने विधिवत जांच शुरू कर दी है।

शासन से स्पष्ट गाइड लाइन मिलने के बाद एसआइटी की टीम ने 2012 से 2017 के बीच हुई नियुक्तियों के दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं। जांच शुरू करने के लिए शासन ने एसआइटी के महानिदेशक को 27 अप्रैल को ही पत्र जारी किया था लेकिन, स्पष्ट गाइड लाइन न मिलने से यह जांच अटकी थी। अब यह स्पष्ट हिदायत है कि एक अप्रैल 2012 से लेकर 31 मार्च, 2017 तक सहकारिता विभाग में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये जो भी भर्तियां हुई हैं उनकी जांच की जाए। शासन के निर्देश के बाद एसआइटी की टीमों का गठन कर जांच शुरू कर दी गई है।

उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये अलग-अलग पदों पर 1500 से ज्यादा भर्तियों में धांधली की शिकायत की गई थी। इनमें से कोआपरेटिव बैंक की सहायक प्रबंधकों के पद पर की गई वह 53 नियुक्तियां भी थीं जिसमें एक ही विधानसभा क्षेत्र के 33 लोग नियुक्त किये गए थे।

इस घोटाले में सहकारी संस्थागत सेवामंडल के दो तत्कालीन चेयरमैन भी जांच के घेरे में हैं लेकिन, उस समय उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात आरके सिंह पर भी गंभीर आरोप है। आरोप है कि चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद शैक्षिक योग्यता कम की गई और सहायक प्रबंधक के पद पर बाबू से भी कम योग्यता पर आवेदन मांगे गए।

इस में कई तरह के घालमेल की शिकायत है। मौजूदा समय में भी बैंक के एमडी पद पर आरके सिंह बने हुए हैं। उन्हें हटाने के लिए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना समेत भाजपा के कई नेताओं ने भी पत्र लिखा था। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन पर सर्वाधिक आरोप है, अगर वह पद पर बने रहे तो जांच प्रभावित होगी। इसलिए उन्हें पद से हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। सहकार भारती ने भी इसमें शिकायत की है। 

chat bot
आपका साथी