Lockdown Coronavirus Day7: कभी यहां हुई करती थी रौनक, आज चारों तरफ पसरा है सन्नाटा
लॉक डाउन के चलते 22 मार्च से सभी स्टेशनों पर खामोशी। कर्मचारियों को काटने दौडता है आजकल सन्नाटा।
लखनऊ, जेएनएन। कभी मुझ पर सफर करने वालों का हुजूम चलता था,आज न मैं हूं और न सफर करने वाले यात्रियों का हुजूम। दिन भर में सैकडों चक्कर लगाना मेरी नियति में था, हर वर्ग को उसकी मंजिल तक पहुंचाती और हर सुख दुख में सहारा बनती। आज वीरान में खडी हूं मैं, कोई नहीं मेरा पूरसाहाल लेने वाला। जिस लौह पथ पर मैं दौडती थी, आज वहां कोई नहीं जाता। सोलह घंटे जहां यात्रियो की चहलकदमी हुआ करती थी, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है, मुझे अंदर से न कोई देख सकता है और न मैं बाहर झांक सकती हूं। मैं मेटो स्टेशन हूं। यह वहीं नार्थ साउथ कॉरिडोर के 21 मेटो स्टेशन हैं, जहां परिंदा अब पर नहीं मार सकता, क्योंकि मेटो प्रशासन ने सुरक्षा के कडे प्रबंध कर रखे हैं।
जी हां पिछले दस दिनों से कैंद हूं, सभी प्रवेश व निकास द्वार बंद कर दिए गए हें, कभी मेरे आने से पहले हवा का झोंका आता था, आज वह भी मुझसे घबराने लगा है। कुछ ऐसा हाल चौधरी चरण सिंह मेटो स्टेशन से मुंशी पुलिया मेटो स्टेशन का है। 22 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉक डाउन रहने के दौरान मेटो के सभी बीस टेनो को डिपो में खडा कर दिया गया है। स्टेशनों के प्रवेश व निकास द्वारा पर ताले पडे हैं। स्टेशनों पर संचालित होने वाले रेस्टोरेंट, स्टाल बंद कर दिया गए हैं, यही नहीं स्टेशनों के नीचे चलने वाले खाने पीने के स्टाल भी बंद हैं और उस पार्किंग, जहां वाहनों को खडा करने का स्थान नहीं मिलता था, वहां साइकिल भी खडी नहीं हो रही। आज एक कोरोना वायरस ने मेरी ढाई साल की गति को तोड दिया हैं, मैं परेशान हूं, लेकिन चिंतित नहीं, क्योंकि मुझ पर चलने वाले जब सुरक्षित रहेंगे तभी तो मैं उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचा पाउंगी।
सामान्य दिनों में कुछ ऐस था संचालन सुबह छह बजे से रात दस बजे तक होता था संचालन संचालन के दौरान 353 चक्कर लगाती थी मेटो सत्रह से अठारह मेटो का होता था दिन भर में संचालन नियमित रूप से सत्तर हजार यात्री करते थे सफर 40 हजार यात्री गो स्मार्ट कार्ड लेकर करते थे सफर यात्रियों को हर साढे पांच मिनट में मिलती थी मेटो