तीन तलाक कानून के समर्थन में आया शिया वक्फ बोर्ड, दस साल सजा की वकालत

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध करते हुए कहा कि तीन तलाक को धार्मिक कानून की आड़ में सही ठहराया जाना उचित नहीं है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Thu, 28 Dec 2017 09:29 PM (IST) Updated:Thu, 28 Dec 2017 09:29 PM (IST)
तीन तलाक कानून के समर्थन में आया शिया वक्फ बोर्ड, दस साल सजा की वकालत
तीन तलाक कानून के समर्थन में आया शिया वक्फ बोर्ड, दस साल सजा की वकालत

लखनऊ (जेएनएन)। शिया वक्फ बोर्ड ने केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक पर लाए गए विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले में अपराधिक मुकदमा दर्ज कर कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध करते हुए कहा कि तीन तलाक को धार्मिक कानून की आड़ में सही ठहराया जाना उचित नहीं है। शिया वक्फ बोर्ड ने तीन तलाक विधेयक का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी भेजा है।


इस पत्र में वसीम रिजवी ने लिखा है कि तीन तलाक महिलाओं के शोषण की श्रेणी में आता है। इससे पीडि़त महिला जिंदगी भर अपने बचे हुए जीवन में संघर्ष करती रहती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक बार में तीन तलाक को सही मानते हुए इसका विरोध कर रहा है। यह बेहद निंदनीय है।

यह शरई का मामला नहीं है। कुरआन शरीफ में इस तरह से तलाक दिए जाने का एक भी उदाहरण नहीं मिलता है। तीन तलाक अपराध की श्रेणी में आता है। इसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध होना चाहिए। इस तरह के अपराध को धार्मिक कानून की आड़ लेकर बचाने की कोशिश की जाएगी तो यह मुस्लिम महिलाओं के साथ जुल्म होगा। यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरई कानून का समर्थन करता है तो उसे अपराध के मामले में भी शरई कानून के तहत सजा देने की वकालत करनी चाहिए।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपना रहा दोहरे मापदंड

वसीम रिजवी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दोहरे मानक अपना रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध मानते हुए केंद्र सरकार से कानून बनाने के लिए कहा है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है।  

chat bot
आपका साथी