संवादी : गहराई व गूढ़ता भाषा में नहीं विचारों में होती है

सौरभ शुक्ला ने अपने जीवन की कहानी सुनाकर बच्चों को कहानी लिखने के गुर बताए। उन्होंने बताया कि गहराई या गूढ़ता भाषा में नहीं विचारों में होती हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 07 Oct 2016 04:08 PM (IST) Updated:Fri, 07 Oct 2016 08:48 PM (IST)
संवादी : गहराई व गूढ़ता भाषा में नहीं विचारों में होती है

लखनऊ (जेएनएन)। दैनिक जागरण के संवादी के पहले सत्र में फिल्मकार से कथाकार बने सौरभ शुक्ला ने जमकर तालियां बटोरीं। उन्होंने अपने जीवन की कहानियां सुनाकर बच्चों को कहानी लिखने के तरीकों से अवगत कराया।

लखनऊ के संगीत नाटक अकादमी में तीन दिवसीय संवादी के संत गाडगे हाल में सौरभ शुक्ला ने आने वाले कल की कहानियां शीर्षक पर अपने विचार रखे।

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सौरभ शुक्ला ने अपने जीवन की कहानी सुनाकर बच्चों को कहानी लिखने के गुर बताए। उन्होंने बताया कि गहराई या गूढ़ता भाषा में नहीं विचारों में होती हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों से सुनी सुनाई कहानी की बजाय अपने जीवन के पलों से सीखो और खूब लिखे।

इसी क्रम को को आगे बढ़ाते हुए अखिलेश जी ने कहा कि कहानी में मूल चीज संवेदना होती हैं। मुंशी प्रेम चन्द का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे प्रेमचन्द जी ने बड़े लोगों की बजाय मामूली लोगों की कहानी लिखी।

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सौरभ मूलरूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं और उनकी शिक्षा दिल्ली में हुई है। सौरभ ने थिएटर किया और फिर शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से फिल्मी सफर तय किया। इस दौरान उन्होंने सत्या, कोलकाता मेल, एसिड फैक्ट्री और पप्पू कांट डांस साला जैसी फिल्मों की पटकथा भी लिखी। 'जॉली एलएलबी' के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिग एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

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अस्सी के दशक में सजग किस्सागो के रूप में मशहूर अखिलेश ने भी आज श्रोताओं को बांधे रखा। लेखक के रूप में अखिलेश की कहानी 'चिट्ठी' ने उनकी प्रतिभा के परचम लहराए। अखिलेश रचनात्मक कहानी, उपन्यास व संस्मरण के जाने जाते हैं और इसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों भी मिल चुके हैं।

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