रूस की हैवी हॉल तकनीक से बढ़ेगी भारतीय रेलवे की कमाई Lucknow news
रेलवे हासिल करेगा माल ढुलाई बढ़ाने के लिए हैवी हॉल तकनीक। रेलवे बोर्ड तैयार कर रहा प्रोजेक्ट काम पूरा करेगा आरडीएसओ।
लखनऊ, (निशांत यादव)। अब देश में बन रहे डेडीकेटेड फ्रेड कॉरिडोर पर रूस की हैवी हॉल तकनीक से बने एक्सल से मालगाडिय़ां दौड़ेंगी। मालगाडिय़ों की वहन क्षमता अधिक होगी और गुना माल की ढुलाई की जा सकेगी। रूस और भारत के बीच हुए एमओयू के बाद अब रेलवे बोर्ड प्लानिंग में जुट गया है। इसके बाद भारत में अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) और रूस का रेलवे रिसर्च इंस्टीट्यूट मिलकर काम करेंगे।
दरअसल, भारत में अभी 22.9 टन की क्षमता वाले एक्सल पर मालगाडिय़ां दौड़ रही हैं, जिससे कोयला और लोहा जैसे वजनी सामान से पटरियों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। रेलवे का 1760 किमी का पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेड कॉरिडोर लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक और पश्चिमी छोर पर 1468 किमी का मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट से दादरी तक बन रहा है। इस कॉरिडोर पर रेलवे 25 टन एक्सल क्षमता वाली मालगाडिय़ां दौड़ाएगा। इसके लिए रेलवे रूस से 30 टन एक्सल की क्षमता की हैवी हॉल तकनीक हासिल करेगा। इससे माल ढुलाई की क्षमता बढऩे के साथ बिजली घरों और अन्य प्लांट पर कोयले की डिमांड समय से पूरी होगी।
इन पर भी काम करेगा आरडीएसओ
रूस के साथ टेस्टिंग, सिग्नलिंग, साइबर सिक्योरिटी, रेल व्हील इंट्रैक्शन, सेमी हाइस्पीड तकनीक, आपसी लाभ के लिए संयुक्त रिसर्च आरडीएसओ करेगा। कार्यकारी निदेशक प्रशासन प्रथम एनके सिन्हा ने बताया कि रूस की हैवी हॉल तकनीक से भारतीय रेलवे की माल ढुलाई की क्षमता बढ़ेगी। रेलवे बोर्ड इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग कर रहा है। इसके बाद आरडीएसओ इसका क्रियान्वयन करेगा।
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