Research : गन्ने में छिपा है लाल रोग रोकने का उपचार, बिना प्रतिकूल प्रभाव के होगा दूर

Research बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि की शोधार्थी शास्त्री ने खोजा यह सूक्ष्म तत्व बिना प्रतिकूल प्रभाव के दूर होगा रोग । गन्ने में एक साल तक प्रयोग करने के बाद सार्थक परिणाम सामने आए हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 07:44 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 07:44 AM (IST)
Research : गन्ने में छिपा है लाल रोग रोकने का उपचार, बिना प्रतिकूल प्रभाव के होगा दूर
Research : अंबेडकर केंद्रीय विवि की शोधार्थी शास्त्री ने खोजा यह सूक्ष्म तत्व, बिना प्रतिकूल प्रभाव के दूर होगा रोग।

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। Research : नकदी फसल की श्रेणी में आने वाले गन्ने में लगने वाले लाल रोग से 10 से 50 फीसद गन्ने का उत्पादन प्रभावित होता है। मेहनत के बावजूद किसानों को उतना लाभ नहीं मिल पाता है। रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग रोग दूर करने में भले ही सहायक हो, लेकिन गन्ने और मिट्टी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि की शोधार्थी डॉ.बीनू शास्त्री ने इस रोग से लड़ने के लिए गन्ने में ही ऐसा सूक्ष्म तत्व खोजा है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही गन्ने के उत्पादन में भी कारगर है। गन्ने में एक साल तक प्रयोग करने के बाद सार्थक परिणाम सामने आए हैं। अब इस सूक्ष्म तत्व को मऊ स्थित राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्म जीव ब्यूरो को अगले महीने भेजा जाएगा जहां इसके आम किसानों के लिए तैयार करने की तकनीक का विकास होगा और किसान इसका उपयोग कर लाभ ले सकते हैं।

अंबेडकर विवि के पर्यावरणीय सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.राजेश कुमार के निर्देशन में शाेध कर रही डा.बीनू शास्त्री ने बताया कि जैविक खेती की बात तो होती है, लेकिन जैविक कीटानाशक के बारे में कोई बात नहीं करता। जैविक गन्ने में भी लाल सड़क रोग होता है तो उसके लिए रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग होगा तो उसका प्रतिकूल प्रभाव गन्ने से बनने वाली चीनी या गुड़ पर भी पड़ेगा। इसी मंशा को लेकर विभागाध्यक्ष प्रो.राजेश कुमार के निर्देशन में शोध शुरू किया और एक साल में गन्ने पर प्रयोग कर सूक्ष्म तत्व की रोग प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन करके परिणाम निकाला है।

एंडोफाइटिग बैक्टीरिया से होता है रोग का निदान

शोधार्थी ने गन्ने के तने व जड़ों में पाए जाने वाले सूक्ष्म तत्व एंडोफाइटिग बैक्टीरिया के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है जिसे वैज्ञानिक तरीके से निकालकर सीधे रोग दूर करने के लिए किया जाता है। शोधार्थी का प्रयास सफल रहा और विवि परिसर में ही गन्ने की पौध तैयार कर इसका परीक्षण किया गया। मऊ स्थित राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्म जीव ब्यूरो को यह निकाला गया तत्व भेजा जाएगा। वहां से किसान इसका प्रयोग कैसे कर सकेंगे, इसकी जानकारी दी जाएगी। कुलपति प्रो.संजय सिंह के मार्ग दर्शन का नजीता रहा कि हम किसानों के लिए काम करने में सक्षम हुए हैं। इसके प्रयोग से रोग से होने से वाले 10 से 50 फीसद नुकसान से बचत होगी और उत्पादन में 20 फीसद की वृद्धि भी होगी।

- प्रो.राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष,पर्यावरणीय सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग

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