लोगों के दिलों पर हमेशा रहा सिर्फ धर्म का राज : उमा भारती

गोरखपुर में योगीराज बाबा गंभीर नाथ की पुण्यतिथि शताब्दी वर्ष समारोह पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि सनातन धर्म ही शाश्वत है। इसे छोड़कर हर चीज बदलती रहती है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Tue, 05 Apr 2016 01:54 PM (IST) Updated:Tue, 05 Apr 2016 07:51 PM (IST)
लोगों के दिलों पर हमेशा रहा सिर्फ धर्म का राज : उमा भारती

लखनऊ। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने कहा कि सनातन हिंदू धर्म ही शाश्वत सत्य है। समय के साथ बदलाव आए पर नहीं बदला तो सिर्फ हमारा धर्म। विविधताओं के बावजूद अगर सांस्कृतिक रूप से भारत एकसूत्र में बंधा रहा तो उसकी वजह हमारा धर्म ही है। गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में योगिराज बाबा गंभीरनाथ की पुण्यतिथि शताब्दी समारोह के उद्घाटन पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, राज बदला, सीमाएं बदलीं, पर यहां के लोगों के दिलों पर कोई राज नहीं कर सका। इस पर राज रहा तो सिर्फ धर्म का। इस धर्म को संरक्षित और संवद्र्धित करने का काम योगिराज बाबा गंभीरनाथ जैसे संतों एवं धर्माचार्यों ने किया। उन्होंने सवाल भी किया कि क्या तुलसी, सूर और मीरा के बिना अपने आराध्य राम और कृष्ण की कल्पना संभव है। केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यान्वयन (स्वतंत्र प्रभार) एवं विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने बतौर विशिष्ट अतिथि अपने संबोधन में कहा कि संत और सैनिक की भूमिका समान होती है। संत धर्म, संस्कृति और परंपरा की रक्षा करते हैं, तो सेना सरहदों की। सही अर्थों में मनुष्य बनने और जीवन की सार्थकता के लिए एक मार्गदर्शक की जरूरत होती है। अगर मार्गदर्शक संत हो तो सौभाग्य। धर्म ही प्रगति का मार्ग दिखाता है। देश, समाज, मानवता और धर्म को सर्वोपरि मानें। अगर आपने ऐसा संकल्प ले लिया, तो देश की तरक्की तय है। कार्यक्रम को इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश केडी शाही और डा.कन्हैया सिंह ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के शुरू में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं सांसद योगी आदित्यनाथ ने नाथपीठ की परंपरा और सरोकारों का जिक्र किया। कहा, बाबा गंभीरनाथ ने विपरीत हालातों में पीठ की परंपरा को संरक्षित और संवद्र्धित करते हुए इसे नवजीवन दिया। इस मौके पर बाबा गंभीरनाथ और जनरल वीके सिंह की जीवनी पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन हुआ। इनके नाम हैं क्रमश: 'आदर्श-योगी श्री श्री योगिराज गम्भीरनाथचरितामृत' और 'साहस और संकल्प'। गंभीरनाथ के नाम पर डाक टिकट का अनावरण भी हुआ।

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