इंडस हॉस्पिटल पर छापा, भारी मात्रा में आइवरमेक्टिन व विटामिन सी की गोलियां बरामद

लखनऊ के इंडस हॉस्पिटल में बिना लाइसेंस के ही बेची जा रही थी औषधियां 70 हजार की दवाएं सीज।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 16 Sep 2020 08:04 AM (IST) Updated:Wed, 16 Sep 2020 08:04 AM (IST)
इंडस हॉस्पिटल पर छापा, भारी मात्रा में आइवरमेक्टिन व विटामिन सी की गोलियां बरामद
इंडस हॉस्पिटल पर छापा, भारी मात्रा में आइवरमेक्टिन व विटामिन सी की गोलियां बरामद

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी के इंडस हॉस्पिटल पर मारे गए ड्रग विभाग के छापे में मंगलवार को भारी मात्रा में आइवरमेक्टिन व विटामिन सी की गोलियां बरामद की गई हैं। औषधि अनुज्ञापन एवं नियंत्रण प्राधिकारी व जिलाधिकारी के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। छापे में कई अन्य तरह की औषधियां भी बरामद की गई हैं। विक्रेता के पास औषध बिक्री का कोई लाइसेंस भी नहीं पाया गया।

औषधि निरीक्षक बृजेश कुमार व माधुरी सिंह में बताया कि आइवरमेक्टिन व विटामिन सी की टेबलेट के उपलब्धता के संबंध में दुबग्गा स्थित इंडस हॉस्पिटल पर छापे की कार्रवाई की गई। इस दौरान भारी मात्रा में विटामिन सी की टेबलेट एवं अन्य एलोपैथिक औषधियां बरामद हुई हैं। फर्म द्वारा कोई लाइसेंस भी प्रस्तुत नहीं किया गया। पूछने पर अवगत कराया कि मेरे पास कोई औषधि विक्रय लाइसेंस नहीं है जिस के क्रम में लगभग 70 हज़ार रुपये कीमत की अवैध औषधियों को सीज किया गया। मौके से दो संदिग्ध औषधियों के नमूने भी लिए गए। ड्रग निरीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि फर्म के मालिक ओम प्रकाश मौके पर उपस्थित नहीं थे। फर्म के विरुद्ध औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 18/27 में मुकदमा न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा।
कोरोना की रिपोर्ट के लिए इंतजार 
कोरोना मरीजों को रिपोर्ट के इंतजार में सही समय पर संपूर्ण इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से कई मरीज अपना दम भी तोड़ दे रहे हैं। कई बार जब तक मरीज की रिपोर्ट आती है तब तक वह अपनी जान गवां चुका होता है। संस्थान की इस लापरवाही पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है, लेकिन मरीज और उनके तीमारदार परेशान हो रहे हैं, समय पर इलाज नहीं मिलने से तड़प रहे हैं और अपनी जान गवा रहे हैं। केजीएमयू के आरटीपीसीआर लैब की हालत यह है कि रिपोर्ट मिलने में 55 से 60 घंटे का वक्त लग जा रहा है। इससे मरीजों व तीमारदारों को मुश्किल झेलनी पड़ रही है। तीमारदार रिपोर्ट के लिए विभाग से लेकर माइक्रोबायोलॉजी लैब तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही झेलनी पड़ रही है और भागदौड़ में संक्रमण का खतरा ऊपर से मंडरा रहा है।
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