लखनऊ विवि में CAA पाठ्यक्रम पर अखिलेश ने कसा तंज तो मायावती ने कहा-सत्ता में आईं तो वापस लेंगी

LU में कोर्स अपडेट किया जा रहा है। इसी क्रम में पॉलिटिकल साइंस विभाग की ओर से सीएए को कोर्स में शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसका मायावती और अखिलेश ने विरोध किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 02:21 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 09:50 PM (IST)
लखनऊ विवि में CAA पाठ्यक्रम पर अखिलेश ने कसा तंज तो मायावती ने कहा-सत्ता में आईं तो वापस लेंगी
लखनऊ विवि में CAA पाठ्यक्रम पर अखिलेश ने कसा तंज तो मायावती ने कहा-सत्ता में आईं तो वापस लेंगी

लखनऊ, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश में मचे घमासान के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव को लेकर नई बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है। संसद से ही इस कानून का विरोध कर रहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा है कि बसपा इसका सख्त विरोध करती है और यूपी में सत्ता में आने पर इसे पाठ्यक्रम से जरूर वापस लेंगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि यही हाल रहा तो शीघ्र मुखिया जी की जीवनी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी और लेक्चर की जगह उनके प्रवचन होंगे।

दरअसल, एलयू में कोर्स अपडेट किया जा रहा है। इसी क्रम में यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग की ओर से सीएए को भी कोर्स में शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। विभाग का तर्क है कि चूंकि सीएए अब एक कानून का रूप ले चुका है, इसी आधार पर यह पहल की गई है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 और सीएए जैसे हालिया कानूनी बदलाव हुए है, उस दृष्टि से यह आवश्यक भी हो जाता है। हालांकि इस पूरे विषय पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय का कहना है कि अभी विभाग की ओर से सिर्फ प्रस्ताव रखा गया है। किसी विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने के पहले उसे बोर्ड मीटिंग, कार्यपरिषद से गुजरना पड़ता है। इसमें लंबा वक्त लगता है।

सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।

— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2020

बसपा सुप्रीमो मायावती ने जताया विरोध

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ विश्वविद्यालय की इस कवायद का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि है कि बसपा सरकार सत्ता में आई तो इसे पाठ्यक्रम से वापस ले लिया जाएगा। शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि सीएए पर बहस आदि तो ठीक है, लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है और यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेंगी।'

सुनने में आया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में CAA को रखा जा रहा है. अगर यही हाल रहा तो शीघ्र मुखिया जी की जीवनी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी व लेक्चर की जगह उनके प्रवचन होंगे और बच्चों की शिक्षा में उनकी चित्र-कथा भी शामिल की जाएगी. pic.twitter.com/6UABUeM1du

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 24, 2020

अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश

समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि हर मोर्चे पर फेल हो चुकी भाजपा शिक्षण संस्थाओं को भी विद्वेष की राजनीति का अड्डा बना देना चाहती है। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सरकार का उतावलापन समाज को तोड़ने का काम कर रहा है। चौधरी ने कहा कि भाजपा ओछे हथकंडे अपनाकर अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश में जुटी है। राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर अभी कोर्ट में सुनवाई जारी है। ऐसे में इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की कोशिश एक साजिश का हिस्सा है जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

देश में सबसे बड़ा सम-सामयिक विषय

लखनऊ यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग की ओर से सीएए पढ़ाए जाने को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र की विभागाध्यक्ष शशि शुक्ला ने बताया कि वह जल्द ही इस पाठ्यक्रम को अमल में लाएंगी। उन्होंने कहा कि सीएए इस समय देश में सबसे बड़ा सम-सामयिक और महत्वपूर्ण विषय है, इसलिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प स्टूडेंट्स ही हैं। कानून में क्या-क्या संशोधन हुए हैं इसे बताना जरूरी है।

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