मुनव्वर राणा की मां के निधन पर आंसुओं की धारा ने लफ्जों को रोका

मशहूर शायर मुनव्वर राणा की मां आयशा खातून (85) का निधन हो गया है। लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को उन्होंने सहारा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। बता दें, मुनव्वर की मां पर लिखी कविताएं खूब मशहूर हुई थीं।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Wed, 10 Feb 2016 01:49 PM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2016 09:26 PM (IST)
मुनव्वर राणा की मां के निधन पर आंसुओं की धारा ने लफ्जों को रोका

लखनऊ। 'आज मैं बहुत टूट गया हूं, क्योंकि मेरी मां मुझसे जुदा हो गई है।' यह शब्द थे प्रख्यात शायर मुनव्वर राना के। राना की मां आएशा खातून का इंतकाल हो गया था। मां को सबसे बड़ा मजहब व सबसे बड़ी इबादत मानने वाले मुनव्वर मां के विछोह की पीड़ा के बारे में कहना तो काफी कुछ चाहते थे, लेकिन आंसुओं की अविरल धारा ने उनके लफ्जों को रोक लिया। रायबरेली में जब मां के जनाजे को लेकर कब्रिस्तान की ओर उन्हें आखरी बार सलाम करने के लिए मुनव्वर चले तो पैर डगमगा रहे थे। अपनी मां की चाहत में मुनव्वर ने मां पर जो शायरी लिखी वह कायनात की हर मां के लिए है। उन्होंने सरहद पर देश की सुरक्षा में लगे सेना के जवानों की मां के हालातों का भी मार्मिक व्याख्यान किया। शायर राना के परिवार के करीबी एपी मिश्रा बताते हैं कि मुनव्वर राना की जिंदगी में मां से बढ़कर कुछ नहीं था। वह अपनी मां को अपनी प्रेरणा मानते थे। अपनी शायरी से मां के गुस्से पर लिखा-

'इस तरह गुनाहों को धो देती है, मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है'

धरती मां की तस्वीर पर लिखा-

'वो मैला-सा बोसीदा सा आंचल नहीं देखा, बरसों हुए हमने पीपल नहीं देखा।' इस पंक्ति से मुनव्वर ने पर्यावरण के दोहन पर अपना दुख जताया। सरहद पर जब गोलियां चलती है और मां के पास सैनिक बेटे का खत नहीं पहुंचता तो वह कितनी परेशान होती, उस पर कहा कि 'रोशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं, खत नहीं आया जो बेटों का तो मां बुझ गईं।'

84 साल की मुनव्वर की मां आएशा खातून ने शायर के जीवन पर खासा प्रभाव डाला है। किला बाजार स्थिति शेखवाड़ा के पुश्तैनी मकान में वह रहती थीं। अब जब कभी मुनव्वर को कोई तकलीफ होती थी वह मां के पास रायबरेली दौड़े आते थे।

गमगीन माहौल में सिपुर्द ए खाक

आयशा खातून के शव को गमगीन माहौल में सुबह करीब 10:30 बजे किला बाजार स्थित खपरमलंग कब्रिस्तान में सिपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। किडनी की बीमारी से पीडि़त होने की वजह से उनका लखनऊ के सहारा हास्पिटल में इलाज चल रहा था। मंगलवार सुबह डायलिसिस के दौरान उनका इंतकाल हो गया था। उनका शव बुधवार सुबह ही यहां लाया गया। उन्हें सिपुर्द ए खाक करने के दौरान शायर अनवर जलालपुरी, रईस अंसारी, सांसद सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा समेत कई लोग मौजूद थे।

उनकी मां पर लिखी शायरी

मेरी मां सजदे में रहती है

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है

मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है

बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ

उठाया गोद में मां ने तब आसमान छुआ

घेर लेने को मुझे जब भी बलाएं आ गईं

ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गईं

जरा-सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये

दिये से मेरी मां मेरे लिए काजल बनाती है

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती

बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती

ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता

मैं जब तक घर न लौटूं मेरी मां सजदे में रहती है।

chat bot
आपका साथी