Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: लखनऊ में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई को कविताओं से दी श्रद्धांजलि

कोरोना विभिषिका में राष्ट्र के दृष्टिकोण को नमन करते हुए कवयित्री डॉ. मालविका हरिओम ने आशावादी गीत दीप आशा के जलायेंगे सदा रोशनी के गीत गायेंगे सदा बैर आपस के भुला कर हम सभी प्रेम के उत्सव मनायेंगे सदा सुनाया।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 25 Dec 2020 10:27 PM (IST) Updated:Fri, 25 Dec 2020 10:27 PM (IST)
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: लखनऊ में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई को कविताओं से दी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के अंतिम दिन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

लखनऊ, जेएनएन। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई को कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। मौका था शुक्रवार को संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अटल जयन्ती समारोह का। कार्यक्रम के अंतिम दिन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें पद्मश्री डॉ. सुनील जोगी, गजेन्द्र सोलंकी, डॉ. मालविका हरिओम, सर्वेश अस्थाना और कविता तिवारी ने काव्यपाठ करके शाम को शानदार बना दिया। शुरुआत दिल्ली से आए कवि डॉ. गजेन्द्र सोलंकी ने वाणी वन्दना राष्ट्र वंदना अमर रहे वैभव तेरा भारत वर्ष महान, करेंगे हर एक सांस पर तेरा ही यशगान से की। इसके बाद उन्होंने भारत के परिंदों की जग में पहचान तो जिंदा है, रहे कहीं भी दिल में हिंदुस्तान तो जिंदा है, भारत के खातिर जीने का अरमान तो जिंदा है, भारत के परिंदों की जग में पहचान तो जिंदा है सुनाकर सभी की तालियां बटोरीं।

कोरोना विभिषिका में राष्ट्र के दृष्टिकोण को नमन करते हुए कवयित्री डॉ. मालविका हरिओम ने आशावादी गीत दीप आशा के जलायेंगे सदा, रोशनी के गीत गायेंगे सदा, बैर आपस के भुला कर हम सभी, प्रेम के उत्सव मनायेंगे सदा सुनाया। साथ ही उन्होंने प्रेम का गीत कभी इंकार की बातें, कभी इकरार की बातें, किसी से पूछ लो बेशक, अजब है प्यार की बातें सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवियत्री कविता तिवारी ने अटल जी को नमन करते हुए मार्तण्ड का उदय हुआ घनघोर तिमिर शर्माता है, शब्द सारथी बन करके जो राष्ट्र भक्ति को गाता है, भारत का वह रत्न अलौकिक जिस पर हमें अभिमान है, ऐसे अटल पुत्र को पाकर वो धन्य शारदा माता है सुनाया। साथ ही उन्होंने टूटते साज बचाने के लिए लिखती हूं, शोख अंदाज बचाने के लिए लिखती हूं, छोड़ श्रृंगार की बात को ओज की बातें, देश की लाज बचाने के लिए लिखती हूं सुनाकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

संचालन कर रहे स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना ने अटल जी से जुड़े संस्मरण सुनाए। साथ ही उन्होंने अपनी कविता विभाग ने पुल पर इलजाम लगाया, सारा सीमेंट और लोहा इसी ने खाया, पुल बहुत गिडगिडाया और घबराया, बोला मेरा हिस्से तो बहुत जरा सा आया सुनाया। इसके अलावा उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से जनसंख्या, महंगाई, भाषा विषयों व्यंग्य प्रस्तुत करके सभी को गुदगुदाया। कवि पद्मश्री डॉ. सुनील जोगी ने अटल जी से जुड़े अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने अटल जी के व्यक्तित्व पर केन्द्रित गीतात्मक कविता 'वो अटल जो कह गये कि गीत नया गाइये, एक बार उनके लिए ताल तो मिलाइये और भगवान श्री राम पर आधारित कविता राम सांस सांस में समाये हुए हैं, भारत की आत्मा में छाये हुए हैं सुनाकर श्रोताओं को आनंदित कर दिया।

संस्कृति मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने आमन्त्रित कवियों को सम्मनित किया। इस दौरान प्रमुख सचिव संस्कृति व पर्यटन मुकेश मेश्राम, सचिव सामान्य प्रशासन डॉ.हरिओम, संयुक्त निदेशक संस्कृति श्री वाई.पी.सिंह भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रवि शंकर खरे व अन्य लोग उपस्थित रहे। 

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