बच्चों के लिए जानलेवा बन रही ये दो बीमारियां, कहर बरसा रहे जनवरी और जुलाई Lucknow News

2.43 लाख बच्चों पर विश्व की अब तक सबसे बड़ी स्टडी। देश-विदेश के सात संस्थानों की ओर से मिलकर किए शोध में सामने आया सच निमोनिया और डायरिया का सबसे ज्यादा फैलता है प्रकोप।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 15 Sep 2019 12:02 PM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 12:02 PM (IST)
बच्चों के लिए जानलेवा बन रही ये दो बीमारियां, कहर बरसा रहे जनवरी और जुलाई Lucknow News
बच्चों के लिए जानलेवा बन रही ये दो बीमारियां, कहर बरसा रहे जनवरी और जुलाई Lucknow News

लखनऊ [कुमार संजय]। आमतौर पर बच्चे को कौन सी बीमारी घेर ले कह नहीं सकते। फिर भी सबसे ज्यादा खतरा कब और किस रूप में मंडराता है, यह काफी हद तक साफ हो गया है। यह वक्त है-जनवरी और जुलाई। बीमारी-डायरिया व निमोनिया।

यह दोनों ही महीने और बीमारियां बच्चों पर कहर बनकर टूटते हैं और कई बार जानलेवा बन जाते हैं। किंग चार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी समेत देश-विदेश के सात संस्थानों संग किए गए शोध में यह चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

विशेषज्ञों ने करीब 2.43 लाख बच्चों पर वर्बल अटॉप्सी, मौसम, वातावरण और लक्षण के आधार पर शोध किया। देखा कि एक महीने से 14 साल के बच्चों की मौत निमोनिया के कारण जनवरी में सबसे ज्यादा हुई, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा सबसे कम रहता है। वहीं, डायरिया का सबसे अधिक कहर जुलाई और जनवरी में बरपता है।

ऑनलाइन मेडिकल जर्नल ई लाइफ में 'सेंसुअल वैरिएशन एंड इकोलॉजिकल इंफ्रेंसस ऑफ चाइल्डहुड निमोनिया एंड डायरिया मोर्टलिटी इन इंडिया' शीर्षक से प्रकाशित शोध में विशेषज्ञों ने सलाह भी दी है कि इन महीनों में अभिभावक खास सावधानी बरतें। इससे बच्चों को मौत के मुंह से बचाया जा सकता है।

इन्होंने किया शोध

सेंट एम हॉस्पिटल कनाडा के डॉ. डीएस फरार, डॉ. एसए फेडल, डॉ. एस हैंग फू, किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से डॉ. शैली अवस्थी, पीजीआइ चंडीगढ़ से डॉ. राजेश कुमार, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से डॉ. अनुज सिन्हा, जान हॉपकिंस ब्लूमबर्ग यूएस से डॉ. ब्रेन बहल, हॉस्पिटल ऑफ सिक चिल्ड्रेन कनाडा से डॉ. एसके मॉरिस, सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च टोरंटो कनाडा से डॉ. प्रभात झा।

क्या है निमोनिया

निमोनिया फेफड़ों की सूजन या संक्रमण है। यह संक्रमण फेफड़ों के केवल एक हिस्से को प्रभावित करता है। इसे लोबल निमोनिया के रूप में जाना जाता है।

यह दोनों फेफड़ों को प्रभावित करता है, तब इसे मल्टीलोबल निमोनिया कहते हैं। फेफड़ों के अंदर एयर सैक धीरे-धीरे मवाद और अन्य तरल पदार्थ से भर जाती है। इससे ऑक्सीजन को फेफड़ों तक पहुंचने में परेशानी होती है।

ये है डायरिया

डायरिया इंफेक्शन दूषित पानी और भोजन के खाने से होता है। गंदे हाथों से संदूषण या मल पदार्थ के संपर्क में आना। कुछ सामान्य रोगाणु जो गैस्ट्रो-आंत्रशोथ का कारण बनते हैं। बाद में दस्त होते हैं। बैक्टीरिया (साल्मोनेला या एस्चेरिचिया), वायरस (नोरोवायरस या रोटोवायरस), पैरासाइट (गिअर्डिया इन्टेस्टनालिस) मुख्य कारक हैं। डायरिया आसानी से ठीक होने वाला रोग है।

मौसम बड़ा कारण

आखिर यह दो महीने ही घातक क्यों? इसका जवाब सीधे-सीधे मौसम का माना गया। जनवरी में तापमान तेजी से गिरता है। वहीं, जुलाई में उमस परेशान करती है। मौसम का यही बदलाव दोनों बीमारियों का जनक बन जाता है।

बच्चों में टीका कारगर

बच्चों के लिए निमोनिया टीका पीसीवी 13 है। दो साल से कम आयु के सभी बच्चों के लिए बचाव का बेहतर तरीका है। यह टीका बच्चों को 13 न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से बचाता है।

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